मुख्यमंत्री शिकायत प्रकोष्ठ में दर्ज हो रही हैं शिकायतें

एटा में चलते चलते..सीएमओ एटा का चिल्लर भ्रष्टाचार..!

कमाऊ पूतों के माध्यम से खाने कमाने के एजेंडा पर हो रहा है काम

एटा 3 मई 2025 जिले के स्वास्थ विभाग के मुखिया सीएमओ एटा की रुखसती के दिन नजदीक आते ही चलते चलते..आंधी के आम बटोरने की कवायद में सीएमओ एटा उतर आए हैं। क्योंकि 62 वर्ष तक प्रशासनिक पद पर रहने की इनकी अंतिम समय सीमा जुलाई में पूरी हो रही है समझा जाता है इससे पूर्व यह पद और अधिकार से मुक्त होकर महज डाक्टर बन कर शेष समय पूरा करना होगा। इस उल्टी गिनती काभांपते ही मुख्य मुख्य चिकित्सा अधिकारी चलते चलते.. चिल्लर भ्रष्टाचार पर उतर आए हैं। जिसके लिए विभाग में आधा दर्जन से अधिक कार्मिकों को लगा रखा है। इसमें इन्हें सबसे सॉफ्ट टार्गेट इस समय झोलाछाप अभियान लग रहा है इसी लिए इनके कमाऊ पूतों का सिंडिकेट इस दिशा में जोर शोर से काम कर रहा है। इसके लिए कई बार अनेकों नियम विरुद्ध कार्य हुए है जिनकी शिकायत मुख्य मंत्री शिकायत प्रकोष्ठ में दर्ज की गई हैं जिसके कारण अनेकों मामले में विभाग के मुखिया को मुंह की खाने के बाद बैक फुट पर आना पड़ा है। अभी हाल में जैथरा ब्लॉक के धरौली में एस बी आई बैंक के कस्टमर सर्विस सेंटर की बैंक यूनिट को ही झोलाछाप क्लिनिक मान कर सील कर दिया। जिस पर बैंक संचालक ज्ञान सिंह ने मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर मामले को दर्ज कर कार्यवाही की मांग जिस पर एक्शन का संज्ञान होने पर उल्टे पैर लौट कर विभाग की टीम ने आनन फानन में सील खोली। जिस पर स्थानीय स्तर पर मीडिया द्वारा कड़ी किरकिरी की गई। इसी तरह अवागढ़ ब्लाक का निशा क्लिनिक का मामला मुख्य मंत्री जन सुनवाई पोर्टल पर संदर्भ संख्या-40020125004664 पर दर्ज होकर लंबित चल रहा है। क्लिनिक संचालक डॉ मुनीश मुहम्मद ने मुख्य मंत्री को प्रेषित शिकायत में कहा है कि मलेरिया निरीक्षक लोकमन ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी के लिए एक लाख रुपए की मांग की। 8 अप्रैल को मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रेषित शिकायत में अवागढ़ के डॉ मुनीश मुहम्मद ने लिखा है मलेरिया निरीक्षक लोकमन ने बिना मेरे कागज देखे जबरन क्लिनिक सील कर दी जबकि मेरा पंजीकरण विधिवत आयुर्वेदिक यूनानी चिकित्सा परिषद से अद्यतन है और नवीनीकृत भी है। पीड़ित ने बताया इस संबंध में मलेरिया निरीक्षक ने कहा उक्त डॉक्टर से एक लाख रुपए सीएमओ एटा के लिए मांगे जो देने पर क्लिनिक खोल दिया जाएगा। पीड़ित ने भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की है। उक्त शिकायत के आलोक में समझा जा सकता शासन की प्राथमिकताओं की योजनाओं की अनदेखी कर अपनी मनमर्जी से क्लिनिक निरीक्षण के अभियान क्यों चलाए जा रहे है और उनमें मलेरिया स्टाफ का यह निरीक्षक लोकमन को क्यों लगाया जाता है ?
इन दिनों विभाग में पिछले वित्तीय वर्ष के बजट का अपनी मनमर्जी से उपयोग करने बाद अब विभागीय काम काज करने करवाने के नाम पर चिल्लर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। वैसे भी वर्तमान मुख्य चिकित्सा अधिकारी का पूरा कार्यकाल भ्रष्टाचार के ऊंचे आयाम तक पहुंचा है। पिछले कुछ वर्षों में एएनएम के हेल्थ विजटर ट्रेनिंग और पोस्टिंग के नाम पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कमाऊ पूतों ने हजारों वसूले हैं। यह कृत्य विभागीय गलियारों में खुल कर सामने आने लगा है। इन वर्षों में लगभग 40 एएनएम के स्वास्थ निरीक्षका के प्रशिक्षण कराए गए जो शासनादेश के क्रम में दस साल की सेवा पूर्ण करने बाद रूटीन वे में होते रहे हैं। परन्तु इनमें तीस से चालीस हजार बसूले गए। इस बसुलयावी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के मुंह लगे कमाऊ पूत एवं स्थापना पटल भी शामिल रहा है। प्रशिक्षित निरीक्षकाओं की पोस्टिंग के नाम पर अलग से बसूली किए जाने की चर्चा है।
जिले की एनयूएचएम यूनिट को अत्याधुनिक योजनाओं से लैस करने और कार्मिकों की मैन पावर बढ़ाने के नाम पर की गई आउट सोर्सिंग नियुक्तियों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कमाऊ पूत डाटा ऑपरेटर कम असिस्टेंट एकाउंटेंट रोहित कुमार ने बढ़ चढ़ कर भूमिका अदा की है विभागीय हलकों में कहा गया है पिछले वर्ष लगभग अस्सी लाख का बजट शहरी केंद्रों अस्पतालों के आधुनिकी करण के लिए मिला जिसका उपयोग इस कमाऊ पूत ने खाने कमाने के हिसाब से किया। इसके बाद भी शहरी अस्पताल और इस योजना से संबंधित यूनिटें खस्ता हाल में है।
चलते चलते चिल्लर भ्रष्टाचार की दिशा का रुख अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी का चिकित्सा अधिकारी डिप्टी सीएमओ,जैसे अफसरों की ओर है क्योंकि अंततः जाने से पहले ए सी आर की प्रविष्टियां अर्थात सत्य निष्ठा सर्विस बुक्स में अंकित होनी है जिसके लिए पद के हिसाब से उपकृत दर तय करने की तैयारी चल रही है। स्मरण रहे सत्य निष्ठा आचरण और उसकी कोटि निर्धारण करना उच्चाधिकारी का विवेक सम्मत कार्य होता है इसका कोई शुल्क नहीं होता यह विभागाध्यक्ष का निष्पक्ष आंकलन होता है। यहां की परिपाटी अजब गजब है सत्य निष्ठा बेची और खरीदे जाने का प्रचलन है।
कहते हैं अपने सेवाकाल के अंतिम चरण में अफसर शांत और निष्पक्ष भाव में आकर काम करते है भूल चुक लेनी देनी का बोध अपने अधीनस्थों और कार्मिकों के प्रति होता है। परन्तु एटा के स्वास्थ विभाग के यह मुखिया चिल्लर भ्रष्टाचार पर उतर आए हैं। कमाऊ पूतों को आगे बढ़ा कर नियम विरुद्ध काम काज करने की शैली इसी बात की चुगली करती है।

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks