
एटा, उत्तरप्रदेश ()
पश्चिमी उत्तरप्रदेश के ब्रजखंड के अंतर्गत आने वाले जिला एटा में स्थित है मेहेर गोत्रीय यदुवंशी अहीर क्षत्रियों की प्रतिष्ठित रूपधनी रियासत। इस घराने की सूबे में एक अलग प्रतिष्ठा और रुतबा रहा है।
आज़ादी पूर्व इस रियासत की सीमा के अन्तर्गत एटा, मैनपुरी और फ़िरोज़ाबाद के सैंकड़ों गांव आते थे तथा शिकार खेलने हेतु एक निजी वन छेत्र इस घराने के वंशजों की मिलकियत थी।
घराने की मूल पदवी ठाकुर थी साथ साथ इन्हे “चौधरी साहब” का भी खिताब था।
रूपधनी रियासत के यदुवंशी अहीर ठाकुरों ने सूबे में कई महल, हवेलियों, गढ़ी और मंदिरों का निर्माण कार्य करवाया था अपने शासन के दौरान।
1880 के आसपास यहाँ के जमींदार ठाकुर साहिब ज़ालिम सिंह यादव के घनिष्ठ मित्र ब्राहण श्रेष्ठ महर्षि दयानंद सरस्वती जी यहाँ पधारे थे तो इसी एतिहासिक शाही यज्ञशाला में भव्य यज्ञ किया गया था।
उनके ठहरने के लिए एक कक्ष भी बनवाया गया था जो आज भी सुरक्षित है।
स्वर्गीय ठाकुर साहिब ज़ालिम सिंह यादव सूबे के काफ़ी नामी गिरामी और प्रभावशाली थे। इनके नाम के विपरीत ये स्वभाव से काफ़ी दयालु प्रवत्ति के थे।
ये आजीवन ब्रहमचारी रहे।
इसके अलावा यहां एक शाही मेहमानखाना भी है जो आज़ादी से पूर्व शाही महमानों, ब्रिटिश अधिकारियों आदि के लिए बनवाया गया था क्योंकि किसी बाहरी को महल के अंदर रुकने की इज़ाज़त नहीं थी।
ठाकुर गजराज एक जमींदार घराने के वंशज होने के साथ साथ सूबे की बड़ी हस्ती रहे हैं।
कहा जाता है कि एक मर्तबा आगरा प्रांत के सभी रियासतों के वंशजों को ब्रिटिश अधिकारियों ने लगान हेतु निमंत्र भेजा था जिसमें ठाकुर गजराज सिंह भी पहुंचे थे।
वहां सभी रियायसतो के वंशजों के लिए कुर्सियां थीं और सबको बारी बारी से नम्बर के तहत बुलाकर बैठाया जा रहा था।
ठाकुर गजराज सिंह जी ने जब देखा कि उनके नम्बर आने में समय है तो उनसे गुस्सा से रहा न गया और अफसर के सामने जा कुर्सी पर विराजमान हो गए और मूछों को तांव देने लगे।
इसे देख अफसर ने कहा ” साहब आपका नम्बर इसके बाद है कृपया बाजू वाली कुर्सी पर विराजें” ।
इतना सुन क्रोधित हो गजराज सिंह ने तपाक से उत्तर दिया ” अफसर हम यहां सभी जमींदार अंग्रेज़ो को दान देने आए हैं और हम रूपधनी के चौधरी हैं और चौधरी बार बार उठा नहीं करते “।
अंग्रेज़ अफसर हक्का बक्का रह गया और विनम्रता पूर्वक गजराज सिंह जी से क्षमा मांगी ।
उस बैठक में ठाकुर गजराज सिंह जी ने सबसे ज़्यादा लगान दिया था, ठाकुर गजराज सिंह जी ने शिकोहाबाद स्थित ” क्षत्रिय अहीर कॉलेज ” के निर्माण में भी काफी धन दिया था।
रूपधनी का ये महल अब स्वर्गीय ठाकुर साहब गजराज सिंह यादव की सुपुत्री कुंवररानी साहिबा मंगला देवी जी के वंशजों का निवास स्थान है।
कुंवर रानी साहिबा मंगला देवी का विवाह महतरपुर करोर स्टेट (बरेली ) के कुंवर साहिब सुखदेव सिंह यादव से संपन्न हुआ था।
कुंवर साहिब हुकम सुखदेव सिंह यादव संभवतः उत्तरप्रदेश से प्रथम यदुवंशी थे District और Session Judge बनने वाले।