
नई दिल्ली:
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने भ्रष्टाचार रूपी खतरनाक वैचारिक संक्रमण को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के जज पंकज मित्तल द्वारा विद्यालयों के पाठ्यक्रम में वेद, स्मृति, अर्थशास्त्र, धम्म, महाभारत, रामायण और अन्य पौराणिक कथाओं जैसे प्राचीन भारतीय परंपराओं से संबंधित ग्रंथों को शामिल करने से भ्रष्टाचार के बढ़ते क्रम को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
श्री बिंदुसार ने इस संदर्भ में न्यायमूर्ति पंकज मित्तल के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि इन प्राचीन ग्रंथों में न्याय, नैतिकता, कर्तव्य, शासन और सामाजिक सामंजस्य के गहरे सिद्धांत निहित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन ग्रंथों का अध्ययन छात्रों को न केवल अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ेगा, बल्कि उन्हें उच्च नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से भी अवगत कराएगा, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत वैचारिक आधार तैयार करेंगे।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक का मानना है कि वर्तमान समय में समाज में नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में निहित शिक्षाएं व्यक्ति को सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, त्याग और लोक कल्याण की भावना से प्रेरित कर सकती हैं। जब युवा पीढ़ी इन मूल्यों को आत्मसात करेगी, तो वे व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में अधिक जिम्मेदारी और नैतिकता का परिचय देंगे, जिससे भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर होंगी।
श्री बिंदुसार ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वेद, स्मृति, अर्थशास्त्र जैसे ग्रंथों में सुशासन और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इनका अध्ययन छात्रों को यह समझने में मदद करेगा कि एक आदर्श समाज कैसा होना चाहिए और भ्रष्टाचार किस प्रकार उस आदर्श को नष्ट करता है। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों की कथाएं धर्म और अधर्म के बीच के अंतर को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करती हैं और छात्रों को यह सिखाती हैं कि अंततः सत्य और न्याय की ही विजय होती है।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक ने यह भी कहा कि धम्म के सिद्धांत, जो अहिंसा, सत्य और करुणा पर आधारित हैं, व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में नैतिकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन सिद्धांतों को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों में सहिष्णुता, सहानुभूति और दूसरों के प्रति सम्मान की भावना विकसित होगी, जो भ्रष्टाचार जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों के विपरीत है।
श्री बिंदुसार ने उम्मीद जताई कि शिक्षा मंत्रालय और नीति निर्माता न्यायमूर्ति पंकज मित्तल के इस महत्वपूर्ण सुझाव पर गंभीरता से विचार करेंगे और विद्यालयों के पाठ्यक्रम में इन प्राचीन भारतीय ग्रंथों को उचित स्थान देंगे। उनका मानना है कि यह कदम न केवल छात्रों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ेगा, बल्कि उन्हें एक नैतिक और जिम्मेदार नागरिक बनने में भी सहायक होगा, जिससे अंततः भ्रष्टाचार के बढ़ते क्रम को रोकने में महत्वपूर्ण सफलता मिलेगी।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन का मानना है कि नैतिक मूल्यों की शिक्षा ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार है और प्राचीन भारतीय ग्रंथ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। फाउंडेशन ने सभी शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों से इस पहल का समर्थन करने का आग्रह किया है ताकि देश को भ्रष्टाचार के इस खतरनाक वैचारिक संक्रमण से मुक्त किया जा सके।
भ्रष्टाचार एक खतरनाक वैचारिक संक्रमण है जो समाज की नींव को कमजोर करता है और विकास की गति को बाधित करता है। इसे समाप्त करने के लिए एक बहुआयामी और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें जागरूकता, निवारण, दंडात्मक कार्रवाई और नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण शामिल है। यहां भ्रष्टाचार जैसे खतरनाक वैचारिक संक्रमण को समाप्त करने के कुछ विस्तृत उपाय दिए गए हैं:
- नैतिक मूल्यों और शिक्षा का सुदृढ़ीकरण:
प्रारंभिक शिक्षा में समावेश: बच्चों को बचपन से ही ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा और सहानुभूति जैसे नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना महत्वपूर्ण है। पाठ्यक्रम में ऐसी कहानियों, उदाहरणों और गतिविधियों को शामिल किया जाना चाहिए जो इन मूल्यों को बढ़ावा दें।
पारिवारिक मूल्यों का महत्व: परिवार बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं। माता-पिता को अपने आचरण से ईमानदारी और नैतिकता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए और बच्चों को सही और गलत के बीच अंतर समझाना चाहिए।
सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम: समाज में नैतिक मूल्यों के महत्व को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान, कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित किए जाने चाहिए। धार्मिक और सामुदायिक नेताओं को भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
मीडिया की सकारात्मक भूमिका: मीडिया को भ्रष्टाचार के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करने के साथ-साथ ईमानदार और नैतिक व्यक्तियों की कहानियों को भी प्रसारित करना चाहिए, ताकि समाज में सकारात्मक आदर्श स्थापित हो सकें। - कानूनी और संस्थागत सुधार:
मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी कानून: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जैसे कानूनों को और अधिक कठोर और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। कानूनों में खामियों को दूर किया जाना चाहिए ताकि भ्रष्ट व्यक्तियों को आसानी से बचाया न जा सके।
स्वतंत्र और सशक्त भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाएं: लोकपाल, लोकायुक्त और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) जैसी संस्थाओं को पूर्ण स्वतंत्रता और पर्याप्त संसाधन प्रदान किए जाने चाहिए ताकि वे बिना किसी दबाव के निष्पक्ष जांच कर सकें और भ्रष्ट व्यक्तियों पर कार्रवाई कर सकें। इन संस्थाओं की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए।
न्यायिक सुधार: भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाना चाहिए और इन मामलों की सुनवाई त्वरित गति से पूरी की जानी चाहिए ताकि दोषियों को जल्द सजा मिल सके। न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण प्रक्रिया भी निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए।
व्हिसलब्लोअर संरक्षण: भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले व्यक्तियों (व्हिसलब्लोअर) की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कानून बनाए जाने चाहिए ताकि वे बिना किसी डर के भ्रष्टाचार की जानकारी दे सकें। - प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक सुधार:
सरकारी प्रक्रियाओं का सरलीकरण: सरकारी कार्यालयों में जटिल प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। ऑनलाइन सेवाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि लोगों को अनावश्यक रूप से सरकारी कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें और भ्रष्टाचार की संभावना कम हो सके।
ई-गवर्नेंस का कार्यान्वयन: सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराने से पारदर्शिता बढ़ती है और मानवीय हस्तक्षेप कम होता है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश घटती है।
संपत्ति का प्रकटीकरण: सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अपनी संपत्ति का नियमित और सार्वजनिक प्रकटीकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए। इससे उनकी आय और संपत्ति में असामान्य वृद्धि की निगरानी में मदद मिलेगी।
आंतरिक नियंत्रण और ऑडिट: सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में मजबूत आंतरिक नियंत्रण प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए और नियमित ऑडिट किया जाना चाहिए ताकि वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को समय पर पकड़ा जा सके।
जवाबदेही और पारदर्शिता: सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए और उनके कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए ताकि नागरिक सरकारी कामकाज की जानकारी प्राप्त कर सकें।
स्थानांतरण नीति: सरकारी कर्मचारियों, विशेष रूप से संवेदनशील पदों पर तैनात लोगों के लिए एक स्पष्ट और नियमित स्थानांतरण नीति होनी चाहिए ताकि वे एक ही स्थान पर लंबे समय तक जमे न रहें और भ्रष्टाचार के गठजोड़ न बन सकें। - सामाजिक जागरूकता और नागरिक भागीदारी:
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन: नागरिक समाज संगठनों (CSOs) और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने और लोगों को इसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
नागरिक निगरानी: नागरिकों को सरकारी परियोजनाओं और सेवाओं की निगरानी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सोशल ऑडिट और सामुदायिक निगरानी जैसे तंत्र भ्रष्टाचार को रोकने में प्रभावी हो सकते हैं।
मतदाता जागरूकता: मतदाताओं को जागरूक किया जाना चाहिए कि वे भ्रष्ट नेताओं और उम्मीदवारों को वोट न दें। चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाना चाहिए।
सोशल मीडिया का उपयोग: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने और लोगों को जागरूक करने के लिए किया जा सकता है। - राजनीतिक इच्छाशक्ति:
उच्च राजनीतिक स्तर पर प्रतिबद्धता: भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए राजनीतिक नेतृत्व में मजबूत इच्छाशक्ति का होना अत्यंत आवश्यक है। नेताओं को सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करनी चाहिए और इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।
राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता: राजनीतिक दलों और चुनावों के वित्तपोषण में पारदर्शिता लाई जानी चाहिए ताकि अवैध धन के उपयोग को रोका जा सके और राजनीतिक भ्रष्टाचार को कम किया जा सके।
भ्रष्टाचार एक जटिल समस्या है जिसका समाधान रातोंरात संभव नहीं है। इसके लिए एक दीर्घकालिक और सतत प्रयास की आवश्यकता है जिसमें सरकार, नागरिक समाज और प्रत्येक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। इन सभी उपायों को एक साथ और प्रभावी ढंग से लागू करके ही भ्रष्टाचार जैसे खतरनाक वैचारिक संक्रमण को समाप्त किया जा सकता है और एक स्वस्थ, न्यायसंगत और समृद्ध समाज का निर्माण किया जा सकता है।एके बिंदुसार
संस्थापक
भारतीय मीडिया फाउंडेशन।