
तेल जरै बाती जरै…………….
एटा पालिका प्रशासन का काला कारनामा!
बीते कार्यकाल में कराये गये विकास कार्याें पर अपने नाम की लगा रहे पटिया !
- दूसरे के नाम के ऊपर अपना नाम चिपकवा कर विकास कार्य दर्शा रहे पालिका के खेवनहार !
- दिन भर जलती रहतीं हैं शहर भर में लगे खम्बों की लाइटें!
- जन सूचना अधिकार अधिनियम की भी की जा रही है घोर अनदेखी
एटा। तेल जरै, बाती जरै, नाम दिया को होय, बच्चा खेलै यार को नाम पिया को होय! किसी कवि/गायक की ये पंक्तियां आजकल एटा पालिका प्रषासन पर बिल्कुल सटीक बैठ रही हैं। जी हां काम किसी का ? नाम किसी का ? ऐसा ही कुछ चल रहा है आजकल अपना एटा अपनी शान में। कहते हैं कि जब बिल्ली दूध पीती है तो वह अपनी आंखे बंद कर लेती है और वह समझती है कि उसे कोई देख नहीं रहा है। नगरपालिका का नया कारनामा शहरवासियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा नेता विकास करने के लंबे-लंबे वादे करते हैं क्या वे फर्जी हैं..?
जी हां नगरपालिका के नए कारनामे की बात करें तो विकास का यह हाल हो गया है कि नगरपालिका पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल में किए गए कार्यों पर अपनी नेम प्लेट चिपकाओ अभियान चला रही है।
बता दें पूर्व में माया पैलेस स्थित चौराहे पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर कुछ अराजक तत्वों ने तोड़-फोड़ कर दी थी, जिसकी नगरपालिका द्वारा पुनः मरम्मत कराई गई थी लेकिन इसमें एक कारनामा नगरपालिका ने कर दिया था वो यह कि मरम्मत के दौरान वहां पर लगी पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष की नेम प्लेट को हटवाकर अपनी नेम प्लेट लगवा दी गई थी।
लेकिन दूसरे के कार्य पर अपना नाम चिपकाओ अभियान अभी भी बदस्तूर चल रहा है, षायद बजट भी निकाला जा रहा होगा। जब विकास कार्य स्वयं के द्वारा किया दर्शा रहे हैं तो जाहिर बात है कि बजट भी निकाला ही जा रहा होगा। पालिका में पारदर्षिता की कमी का प्रत्यक्ष उदाहरण ये है कि पालिका प्रशासन द्वारा आरटीआई एक्ट में किसी भी सूचना का जबाब नहीं दिया जाता। लापरवाही का आलम ये है कि बीते कई महीनों से नगर की लाइटें दिन रात चलती रहतीं हैं। दिन भर लाइटें जलती रहती हैं तो ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शासन को बिजली खर्च का कितना चूना प्रतिदिन लग जाता होगा। पर पालिकाध्यक्ष सत्ता पक्ष की होने के कारण कोई मुंह भी नहीं खोल पाता है। पिछले कार्यकाल में पालिकाध्यक्ष की पानी पी पीकर आलोचना करने वालों की भी हिम्मत शायद जबाब दे चुकी है। आपको बता दें कि शहर के कटरा मोहल्ला स्थित सार्वजनिक शौचालय का निर्माण पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष के कार्यकाल में कराया गया था उस समय नगरपालिका के ईओ दीप कुमार वार्ष्णेय थे और उस समय सार्वजनिक शौचालय पर नेम प्लेट भी लगाई गई थी, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब नगरपालिका उस सार्वजनिक शौचालय से उस नेम प्लेट को हटवाकर अपनी नेम प्लेट चिपकाने जा रही है। इसके अलावा पूर्व में संचालित कई आर ओ वाटर के बूथ भी वर्तमान में दम तोड़ चुके हैं। विकास की क्या गति है यह बात शहरवासी भली भांति जानते हैं। अन्दरखाने खबर मिली है कि नगर पालिका में तैनात कई कर्मचारी भी राजनीति का शिकार हो चुके हैं। एटा के जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह को चाहिए कि इस पटिया बदल अभियान की जांच जरूर कराएं साथ ही यह जानकारी भी लें कि एक विकास कार्य का पेमेंट कहीं दो बार करके शासन को चूना तो नहीं लगाया जा रहा। साथ ही शहर में दिन में जल रही लाइटों को बंद कराकर सरकार का पैसा भी बचाना चाहिए। इसके साथ ही आदेश यह भी होना चाहिए कि आरटीआई के तहत सूचना चाहने वालों को पालिका प्रशासन द्वारा सही समय पर सूचनायें उपलब्ध कराई जायें और जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धज्जियां भी ना उड़ाई जायें।