
सीतापुर पत्रकार हत्याकांड: मंदिर के पुजारी का शर्मनाक राज़ बना हत्या का कारण!
भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने इस खुलासे का स्वागत किया है।
सीतापुर, उत्तर प्रदेश: राघवेंद्र वाजपेई की हत्या प्रकरण में पुलिस के कुलसी से भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने स्वागत किया है लेकिन संस्थान के संस्थापक एके बिंदुसार ने अपने देश में पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुरक्षा कानून को लागू करने की जोरदार मांग की है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की सनसनीखेज हत्या, जिसने पूरे प्रदेश के पत्रकारिता जगत को हिलाकर रख दिया था, का पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। प्रारंभिक तौर पर पेशे से जुड़ी रंजिश मानी जा रही इस हत्या की असली वजह एक ऐसा शर्मनाक राज़ निकला, जिसे पत्रकार ने अनजाने में देख लिया था और यही उनकी जान का दुश्मन बन गया। पुलिस के अनुसार, पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई ने महोली स्थित कारेदेव बाबा मंदिर के पुजारी शिवानंद बाबा को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था, जिससे बौखलाए पुजारी ने अपने साथियों के साथ मिलकर उनकी हत्या की साजिश रच डाली।
शर्मनाक राज़ का पर्दाफाश! पुजारी ने क्यों बनवाया पत्रकार को मौत का शिकार?
पुलिस की गहन जांच में यह सनसनीखेज तथ्य सामने आया है कि कारेदेव बाबा मंदिर का पुजारी, जो खुद को एक संत और धार्मिक व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता था, गहरे अनैतिक कृत्यों में लिप्त था। मंदिर में व्यवस्था में मदद करने वाले एक नाबालिग लड़के के साथ दुष्कर्म और अन्य पुरुषों के साथ समलैंगिक संबंध उसके काले कारनामों का हिस्सा थे। फरवरी माह में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई मंदिर गए थे, जहाँ उन्होंने अनजाने में पुजारी शिवानंद को एक नाबालिग के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया। अपने इन घिनौने कृत्यों के उजागर होने के डर से पुजारी शिवानंद बौखला गया और उसने पत्रकार को रास्ते से हटाने की खौफनाक साजिश रच डाली।
सीतापुर में एक हत्या, जो खोल गई साधुओं की साजिश का चक्रव्यूह!
34 दिनों तक चली गहन पड़ताल के बाद सीतापुर पुलिस ने जब पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई हत्याकांड की परतों को खोला, तो पवित्रता की आड़ में छिपे एक गहरे और घिनौने खेल का पर्दाफाश हुआ। जांच में पता चला कि शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर, जो मंदिर में मुख्य पुजारी रमाकान्त मिश्रा के सहायक के तौर पर रह रहा था, अपने निजी स्वार्थों और कुकर्मों को छिपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था। जैसे ही राघवेंद्र वाजपेई को मंदिर में पुजारी की काली करतूतों की जानकारी हुई, बाबा ने उन्हें हमेशा के लिए चुप करा देने का खतरनाक निर्णय ले लिया।
दो शूटर, एक प्लान और 4 गोलियां! राघवेंद्र की हत्या ऐसे बनी प्लानिंग का हिस्सा:
पुलिस के अनुसार, अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए बाबा शिवानंद ने अपने विश्वासपात्र निर्मल सिंह से संपर्क किया। निर्मल सिंह ने इस काम के लिए असलम गाजी नामक एक व्यक्ति को तैयार किया, जिसने आगे दो अज्ञात शूटरों को इस हत्या को अंजाम देने के लिए सुपारी दी। इस खूनी सौदे में चार लाख रुपये की रकम तय हुई। हत्या को अंजाम देने के लिए महोली के पास हेमपुर ओवरब्रिज को चुना गया, जो अपेक्षाकृत सुनसान इलाका था। 8 मार्च की दोपहर, जब राघवेंद्र वाजपेई बाबा शिवानंद से मिलकर अपने घर लौट रहे थे, तो घात लगाए बैठे शूटरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। राघवेंद्र को एक के बाद एक चार गोलियां लगीं और घटनास्थल पर ही उनकी दर्दनाक मौत हो गई। हत्या के बाद दोनों शूटर मौके से फरार हो गए।
STF, क्राइम ब्रांच की 10 से ज्यादा टीमें शूटरों की तलाश में!
इस जघन्य हत्याकांड के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और अपराधियों को पकड़ने के लिए व्यापक स्तर पर तलाशी अभियान चलाया गया। नोएडा, लखनऊ और सीतापुर समेत कई जिलों में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और क्राइम ब्रांच की 10 से ज्यादा टीमों को तैनात किया गया। पुलिस के अथक प्रयासों के बाद अब तक इस साजिश में शामिल तीन मुख्य अभियुक्त — शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर, निर्मल सिंह और असलम गाजी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने फरार दोनों अज्ञात शूटरों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश तेज कर दी गई है।
पत्रकारों में उबाल: प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन, मुआवजे की मांग:
पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की निर्मम हत्या के बाद उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश के पत्रकार समुदाय में गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया। विभिन्न जिलों में पत्रकारों ने काली पट्टियां बांधकर मौन विरोध प्रदर्शन किए, कैंडल मार्च निकाले गए और सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून को तत्काल लागू करने की पुरजोर मांग उठाई गई। इसके साथ ही, पीड़ित पत्रकार के परिवार को उचित सरकारी मुआवजा और सुरक्षा प्रदान करने की भी अपील की गई। पत्रकारों ने इस घटना को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताते हुए अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है।
राघवेंद्र वाजपेई कौन थे? क्यों बन गए भ्रष्टाचारियों की आंखों का कांटा?
35 वर्षीय राघवेंद्र वाजपेई एक निर्भीक और खोजी पत्रकार थे। उन्होंने स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी। उन्होंने धान खरीद में गड़बड़ी और जमीन घोटालों जैसे कई बड़े मामलों पर अपनी बेबाक रिपोर्टिंग से भ्रष्ट तत्वों की नींद उड़ा दी थी। हालांकि, किसी को यह अंदाजा नहीं था कि एक दिन उनका सामना मंदिर के पुजारी के ऐसे शर्मनाक राज़ से होगा, जो अंततः उनकी जान का कारण बन जाएगा। राघवेंद्र अपने साहसिक पत्रकारिता के लिए क्षेत्र में जाने जाते थे और उनकी हत्या ने स्थानीय समुदाय को भी गहरा सदमा पहुंचाया है।
CCTV से खुला राज़, 250 कैमरों की निगरानी में मिले कातिलों के सुराग!
इस अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया। 250 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को बारीकी से खंगाला गया। एक हजार से ज्यादा मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) का विश्लेषण किया गया और सैकड़ों संदिग्ध व्यक्तियों से गहन पूछताछ की गई। पुलिस की अथक मेहनत और वैज्ञानिक जांच के माध्यम से धीरे-धीरे हत्या की पूरी स्क्रिप्ट सामने आती गई और इस जघन्य अपराध में शामिल एक-एक किरदार का पर्दाफाश होता चला गया। सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल के आधार पर ही पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में सफल रही।
अब भी फरार हैं दोनों शूटर, क्या बाबा की गुफाओं में छिपे हैं कातिल?
जहां इस हत्याकांड के तीन मुख्य साजिशकर्ता पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं, वहीं इस खूनी वारदात को अंजाम देने वाले दोनों अज्ञात शूटर अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। आशंका जताई जा रही है कि ये शूटर गिरफ्तारी से बचने के लिए किसी बाबा या धार्मिक व्यक्ति के संरक्षण में छिपे हो सकते हैं या फिर वे सीतापुर जिले से बाहर भाग गए होंगे। पुलिस ने इन दोनों फरार शूटरों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है और उनकी जल्द गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दी जा रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा और इस हत्याकांड में शामिल सभी दोषियों को कानून के कटघरे में खड़ा किया जाएगा।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने इस खुलासे का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि फरार शूटरों को भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा। भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने पत्रकार सुरक्षा कानून को जल्द लागू करने की अपनी मांग को भी दोहराया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।