
एटा, जिलाधिकारी प्रेमरंजन सिंह द्वारा दिए गये निर्देशों के क्रम में अपर जिलाधिकारी( वित्त एवं राजस्व) लालता प्रसाद शाक्य ने बताया कि हीट वेव (लू) असामान्य रूप से उच्च तापमान की अवधि है जब तापमान सामान्य तापमान से अधिक दर्ज किया जाता है। आगामी दिनों में जनपद में परिस्थितिया हीटबेव (लू) के अनुकूल बनी हुई है। उच्च आद्रता तथा वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण उच्च तापमान लोगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है जिसके कारण शरीर में पानी की कमी एवं ऐंठन की शिकायत आती है और कभी-कभी इस कमी से लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। हीट वेव लू से वृद्ध ,बच्चों, गर्भवती महिलाएं, मजदूर, बीमार व्यक्ति एवं निराश्रित लोग अधिक प्रभावित होते हैं। हीट वेव के दृष्टिगत सुरक्षा एवं बचाव हेतु दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं कर क्या करें क्या ना करें।
क्या करें और क्या न करें
जनपद में हीटवेव (लू) के प्रति जोखिम (कमजोर वर्ग एवं क्षेत्र की पहचान)
05 वर्ष से कम आयु के बच्चे व 65 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति। गर्भवती महिलायें।
ऐसे व्यक्ति जो कि सैन्य, कृषि, निर्माण और औद्योगिक व्यवसाय में श्रमिक, मजदूर, खिलाड़ी आदि हों। शारीरिक तौर पर कमजोर व्यक्ति एवं मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति। त्वचा संबन्धित रोग जैसेः-सोरायसिस, पायोडर्मा आदि से प्रभावित व्यक्ति। पर्यावरण बदलने के कारण गर्मी के अनुकूलनता का आभाव।
गर्म हवाएं/लू की स्थिति में क्या करें और क्या न करें
सभी के लिए चाहिए
रेडियो सुनिए, टीवी देखिए, स्थानीय मौसम समाचार के लिए समाचार पत्र पढ़ें। पर्याप्त पानी पियें – भले ही प्यास न लगे। खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू का पानी, छाछ आदि जैसे घरेलू पेय का इस्तेमाल करें।
हल्के वजन, हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें। अपना सिर ढंकेंः कपड़े, टोपी या छतरी का उपयोग करें।
हांथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं। अनावश्यक घर से बाहर प्रात-12.00 से सांयकाल-4.00 बजे तक न निकले बहुत ही आवश्यक होने पर चेहरे व सिर को ढककर ही निकले।
नियोक्ता और श्रमिक
कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं। कार्यकर्ताओं को सीधे धूप से बचने को कहे। अति पारिश्रमिक वाले कार्योंर् को दिन के ठन्डे समय मे निर्धारित करें। बाहरी गतिविधियों के लिए ब्रेक की आवृत्ति में वृद्धि करें।
गर्भवती श्रमिकों और श्रमिकों जिन्हें चिकित्सा देख-भाल की अचानक जरुरत हो सकते हो उनका अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
वृद्ध एवं कमजोर व्यक्तियों के लिये
तेज गर्मी, खासतौर से जब वे अकेले हों, तो कम से कम दिन में दो बार उनकी जांच करें। ध्यान रहे कि उनके पास फोन हो। यदि वे गर्मी से बैचेनी महसूस कर रहे हों तो उन्हें ठंडक देने का प्रयास करें। उनके शरीर को गीला रखें, उन्हें नहलाएं अथवा उनकी गर्दन तथा बगलों में गीला तौलिया रखें। उन्हें अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखने के लिए कहें।
शिशुओं के लिये
उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। शिशुओं में गर्मी की वजह से होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखें। यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डिहाईड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार हैं। बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़ कर न जाएं, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।
पशुओं के लिए
जहां तक संभव हो, तेज गर्मी के दौरान उन्हें घर के भीतर रखें। यदि उन्हें घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे आराम कर सकें। ध्यान रखें कि जहां उन्हें रखा गया हो वहां दिनभर छाया रहें। जानवरों को किसी बंद में न रखें, क्योंकि गर्म मौसम में इन्हें जल्दी गर्मी लगने लगती है। ध्यान रखें कि आपके जानवर पूरी तरह साफ हों, उन्हें ताजा पीने का पानी दें, पानी को धूप में न रखें। दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकड़े डालें। पीने के पानी के दो बाउल रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वे पानी पी सकें।
अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें। किसी भी स्थिति में जानवर को वाहन में न छोडे़।
अन्य सावधानियाँ
जितना हो सके घर के अंदर रहें।
अपने घर को ठंडा रखें पर्दे, शटर या धूप का उपयोग करें और खिड़कियां खुली रखें। निचली मंजिलों पर रहने का प्रयास करें। पंखे का प्रयोग करें, कपड़ों को नम करें और ठंडे पानी में स्नान करें। यदि आप बेहोश या कमजोरी महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए।जानवरों को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें।