
कासगंज जनपद में प्रशासन द्वारा लगातार अपंजीकृत ई-रिक्शा को जब्त किया जा रहा है। इनमें से चालकों को बैटरी, टायर आदि वापस कर दिए जाते हैं, लेकिन लोहे का ढांचा जब्त कर लिया जाता है। यह ई-रिक्शा चालक अत्यंत गरीब हैं और उनकी आजीविका का एकमात्र साधन यही ई-रिक्शा है।
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदेशभर में यह नियम लागू किया गया है कि अपंजीकृत ई-रिक्शा को जब्त किया जाएगा और चालकों को पंजीकृत ई-रिक्शा खरीदने के लिए कहा गया है, जिसकी लागत डेढ़ से दो लाख रुपये तक है। ऐसे में गरीब चालक इतनी बड़ी राशि कैसे वहन कर पाएंगे?
सरकार का यह कदम इन गरीब परिवारों के पेट पर लात मारने जैसा है। उचित यह होता कि सरकार ऐसे अपंजीकृत ई-रिक्शा चालकों को कुछ समय देती और कहती कि वे अपने ई-रिक्शा को पंजीकृत करवा लें। सरकार यह व्यवस्था बना सकती थी कि जो ई-रिक्शा पहले से चल रहे हैं, उन्हें पंजीकरण हेतु अवसर दिया जाएगा और एक निश्चित अवधि प्रदान की जाएगी, जिससे वे नई व्यवस्था के अनुसार अपने ई-रिक्शा को वैध करा सकें।
वर्तमान स्थिति यह है कि अधिकांश ई-रिक्शा चालक 70,000 से 1,00,000 रुपये तक की लागत से ई-रिक्शा किश्तों में लेकर चलाते हैं। अभी तक उनकी किश्तें भी पूरी नहीं हुई हैं। यदि अब उनका ई-रिक्शा जब्त कर लिया जाएगा, तो वे किश्तें भी नहीं चुका पाएंगे और उनके परिवारों पर भरण-पोषण का संकट खड़ा हो जाएगा।
हमारी मांगें इस प्रकार हैं:
- अपंजीकृत ई-रिक्शा को जब्त करने की कार्रवाई पर अविलंब रोक लगाई जाए।
- ऐसे चालकों को कम से कम 1-2 वर्ष की अवधि दी जाए, जिससे वे पंजीकरण करवा सकें या नया पंजीकृत ई-रिक्शा खरीद सकें।
- शासन द्वारा विशेष पंजीकरण योजना लागू की जाए, जिसके तहत वर्तमान अपंजीकृत ई-रिक्शा को ही पंजीकृत करने की सुविधा मिले।
- सरकार आर्थिक रूप से कमजोर चालकों को सब्सिडी या आसान किस्त योजना प्रदान करे।
महोदय, आपसे निवेदन है कि इन गरीब परिवारों की पीड़ा को समझते हुए उचित निर्णय लें, जिससे उनकी आजीविका बची रह सके और वे आत्मनिर्भर रह सकें।
भवदीय,
अब्दुल हफीज गांधी
सामाजिक कार्यकर्ता