वक्फ कानून को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अब तक 6 याचिकाएं किया गया दाखिल।

नई दिल्ली, 7 अप्रैल 2025

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ देशभर में विरोध तेज हो गया है और अब तक इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली छह याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। इन याचिकाओं में कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह कानून मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है और यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। अब तक सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटैक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APSR), जमीयत उलेमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) याचिका दायर कर चुके हैं।

कांग्रेस सांसद जावेद और ओवैसी ने राष्ट्रपति की मंजूरी से पहले ही याचिका दाखिल कर दी थी जबकि आप विधायक अमानतुल्लाह और APSR ने राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद शनिवार को याचिका दायर की। रविवार को AIMPLB और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300-ए का उल्लंघन करता है। ओवैसी ने इस कानून को मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और लोकसभा में बिल की कॉपी भी फाड़ दी थी। कांग्रेस सांसद जावेद ने इसे मुस्लिमों के प्रति भेदभावपूर्ण बताया। संसद में यह विधेयक भारी बहुमत से पास हुआ था। लोकसभा में इसके पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े जबकि राज्यसभा में 132 वोट समर्थन में और 95 विरोध में पड़े। शनिवार को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह बिल कानून बन गया। अब सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख का इंतजार है। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करता है।रिपोर्ट -करन छौकर।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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