
रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक महाकाव्य है, जो भगवान श्रीराम के चरित्र और लीलाओं का विस्तृत वर्णन करता है।
यह ग्रंथ सात कांडों (अध्यायों) में विभाजित है, जो वाल्मीकि रामायण की कथा को भक्तिपूर्ण और सरल भाषा (अवधी) में प्रस्तुत करता है। आइए, प्रत्येक कांड की संक्षिप्त जानकारी देखें—::
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- बालकांड
विषय-वस्तु: श्रीराम के जन्म से पूर्व की घटनाएँ, उनका जन्म, ऋषि विश्वामित्र के साथ जाना, ताड़का वध, धनुष यज्ञ और माता सीता से विवाह।
मुख्य प्रसंग: शिव-पार्वती विवाह, दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ, राम-लक्ष्मण का विश्वामित्र के साथ जाना, अहल्या उद्धार, सीता-स्वयंवर।
- अयोध्याकांड
विषय-वस्तु: राम के राज्याभिषेक की तैयारी, कैकेयी द्वारा दो वरदान मांगना, राम का वनवास, भरत का चित्रकूट जाना।
मुख्य प्रसंग: राम का वनवास, दशरथ का निधन, भरत का राम से मिलना और उनके खड़ाऊं को अयोध्या ले जाकर राज्य चलाना।
- अरण्यकांड
विषय-वस्तु: वन में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का निवास, सूर्पणखा प्रकरण, खर-दूषण वध, रावण द्वारा सीता हरण।
मुख्य प्रसंग: पंचवटी में निवास, सूर्पणखा का नाक-कान कटना, खर-दूषण वध, रावण-मारीच संवाद, सीता हरण।
- किष्किंधाकांड
विषय-वस्तु: हनुमानजी से भेंट, सुग्रीव से मित्रता, बालि वध, वानरों की सीता की खोज।
मुख्य प्रसंग: राम-हनुमान मिलन, सुग्रीव की सहायता, बालि वध, सीता की खोज के लिए वानर सेना भेजना।
- सुंदरकांड
विषय-वस्तु: हनुमानजी की लंका यात्रा, सीता से भेंट, लंका में हनुमानजी का उपद्रव, रावण को संदेश।
मुख्य प्रसंग: समुद्र लांघना, अशोक वाटिका में सीता से मिलना, लंका दहन, हनुमानजी का लौटकर श्रीराम को समाचार देना।
- लंकाकांड
विषय-वस्तु: श्रीराम की सेना का समुद्र पार करना, रावण के साथ युद्ध, विभीषण की शरणागति, रावण वध, सीता की अग्निपरीक्षा।
मुख्य प्रसंग: रामसेतु निर्माण, लक्ष्मण-मेघनाद युद्ध, कुम्भकर्ण वध, रावण वध, सीता की अग्निपरीक्षा।
- उत्तरकांड
विषय-वस्तु: श्रीराम का अयोध्या आगमन, राज्याभिषेक, सीता का वन गमन, लव-कुश कथा, श्रीराम का ब्रह्म में लीन होना।
मुख्य प्रसंग: श्रीराम का राज्याभिषेक, सीता का वनवास, लव-कुश द्वारा रामकथा गान, राम-सीता का पुनर्मिलन, श्रीराम का लोकांतरण। निष्कर्ष
रामचरितमानस के ये सात कांड भगवान श्रीराम के जीवन, आदर्शों और भक्तिपूर्ण लीलाओं को दर्शाते हैं।
तुलसीदास जी ने इसे सरल भाषा में लिखकर जनसामान्य तक रामकथा पहुँचाई, जिससे यह भारतीय संस्कृति और भक्ति परंपरा का अभिन्न अंग बन गया।