शिक्षा विभाग का दूसरा अध्याय!

एटा,तारीख थी 22 फरवरी, समय था करीब 2:34 का,ब्लॉक था जैथरा, स्कूल था प्राथमिक ललहट,

इस स्कूल की पड़ताल के लिए ज़ब इस स्कूल तक पहुंचना हुआ तो पता चला कि स्कूल से दो अध्यापक गायब थे. सहायक अध्यापक शिवेंद्र यादव बच्चों को पढ़ाते मिले लेकिन स्कूल हेड जीतेन्द्र सिंह और सहायक अध्यापक रूबी सिंह भी स्कूल में उपस्थित नहीं थी।

सहायक अध्यापक शिवेंद्र कुमार से ज़ब यह पूछा कि सभी अध्यापक किधर है तब उनका कहना है कि हेड BRC गए है। और रूबी सिंह का पता नहीं है. यानि कि जानकारी में नहीं है..!

सहायक अध्यापक से यह जानना चाहा कि क्या स्कूल में इस सत्र के मदो का खर्च हुआ है तो दिखाने के लिए कुछ था ही नहीं.. बस पूर्व बर्ष के कुछ सामान पड़े थे…!!

हमने यह भी जानना चाहा कि क्या रूबी सिंह द्वारा अवकाश लिया गया है जो CL रजिस्टर पर दर्ज होंगी तो सहायक अध्यापक का कहना था कि स्कूल में रखी अलमारी की चाबी हेड अपने साथ रखते है क्योंकि उनको हम पर विश्वास नहीं है….!!

महत्वपूर्ण 👇

सहायक अध्यापक रूबी सिंह के विषय पर ज़ब पता किया तो मालूम हुआ कि रूबी सिंह अपनी ससुराल में थी!!ससुराल अलीगढ में है तो इतनी जल्दी आना भी मुश्किल है। खैर यह तो पता चल ही रहा है कि सहायक अध्यापक हो या हेड…. स्कूल के कागजो में राशन और छात्रों की संख्या भरने में पीछे नहीं हटते है।

प्राथमिक स्कूल ललहट कि पिछले महीने के चार्ट को देखे तो छात्रों की संख्या में किसी भी तरह की कमी नहीं की गई है। फरबरी महीने में MDM 1150 छात्रों ने खाया है. ज़ब ललहट गाँव के बच्चों की गिनती और स्कूल आने वालों पर चर्चा करे तो आप भी हैरान हो जायेगे. इस स्कूल में हर रोज 20/35 बच्चों की संख्या ही आती है लेकिन पूरा स्टॉफ MDM में कभी 50 छात्र या फिर 48 छात्रों को चार्ट में भरता है।

गाँव के लोगो से जाना कि क्या स्कूल में छात्रों की संख्या इतनी रहती है। गाँव के लोगो का कहना कि साहब स्कूल सरकार चला रही है लेकिन ये मास्टर स्कूल नहीं चलाते है, बच्चों के लिए क्या आता है! क्या नहीं,कभी गाँव के लोगो को बुलाया ही नहीं है. बस झंडा फहराया जा रहा है. शिक्षा के नाम का!!

ललहट स्कूल में हेड तो BRC गए थे तो क्या रूबी सिंह भी ससुराल गई थी. अगर ससुराल गई थी तो CL क्यों नहीं ली गई…. BEO नेतृपाल सिंह द्वारा जैथरा ब्लॉक में शिक्षा के स्तर को इस कदर गिराया जा रहा है कि एक-एक स्कूल को खगालने की शुरुआत की जाये तो 20% स्कूलो की स्थिति BEO के माध्यम से धरातल पर बैठी मिलेगी।

22 फरबरी 2025 का हिसाब कौन और कैसे लेगा यह सवाल,शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियो पर छोड़ देते है।

फिलहाल जिले के अध्यापको से कहना है कि सरकार की नीतियों पर शक की मोहर मत लगाइये। बच्चो के भविष्य के साथ और उनके हको के साथ मत खेलिए. उनके हिस्से के दूध और फल मत खाओ…… इन बच्चो के लिए हम खडे और पूरी सजगता के साथ जिम्मेदारी निभाएंगे.

अगर आपको ससुराल जाना है तो फिर जाओ लेकिन CL लेकर जाओ, तुमको गंगा नहानी है तो नहाओ लेकिन CL लेकर….

अगर हमने ऐसा किया तो

मिशन के साथ लगभग जिले के सभी गावों में एक ग्राम रिपोर्टर बना दिया जायेगा. देखते है अध्यापक कितने बजे आते है और कितने बजे जाते है।

जल्द लेकर आ रहें है जिले में कहा का अध्यापक कहा अटैच है.. और किसकी वजह से…!!

2022/2023 के आदेश के क्रम में अटैचमेन्ट खत्म होने के आदेश जारी हो चुके है फिर क्यों अटैच है अध्यापक!!

जिलाधिकारी से लेकर BRC तक… खलबली होनी चाहिए… क्योंकि ये बच्चों के भविष्य की बात है!!

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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