
पाकिस्तान में शुक्रवार 28 फरवरी को दो बम धमाके हुए। जिसमें 16 लोग घायल हो गए और छह की मौत हो गई। पहला धमाका बलूचिस्तान के क्वेटा में हुआ। जहां एक मोटरसाइकिल में विस्फोट हो गया। जिसमें एक सुरक्षाकर्मी समेत 10 लोग घायल हो गए। दूसरा धमाका खैबर पख्तूनख्वा के नौशेरा में हुआ। जिसमें दारुल उलूम हक्कानिया के शीर्ष अधिकारी समेत छह लोगों की मौत हो गई। मौलाना हमीदुल हक हक्कानी एक पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ और इस्लामी विद्वान थे। वह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के नौशेरा जिले में दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा के मुख्य प्रार्थना कक्ष में हुए आत्मघाती विस्फोट में मारे गए छह लोगों में से एक थे। हमले में घायल हुए 15 लोगों में तीन पुलिसकर्मी भी शामिल थे। मौलाना हमीदुल हक जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI)-S राजनीतिक दल के नेता थे। वह मारे गए मौलवी मौलाना समीउल हक के बेटे थे। जिन्हें ‘तालिबान का जनक’ भी कहा जाता है। साल 2018 में अपने पिता की मृत्यु के बाद हमीदुल हक देश के सबसे बड़े और सबसे पुराने मदरसों में से एक दारुल उलूम हक्कानिया के कुलपति और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-सामी के प्रमुख बन गए। मौलाना हमीदुल हक के अफगानिस्तान में कई तालिबान नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध थे। अपनी मृत्यु से एक साल पहले उन्होंने तालिबान नेताओं के साथ ‘धार्मिक कूटनीति’ बैठकों के लिए अफगानिस्तान में पाकिस्तानी धार्मिक विद्वानों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। रिपोर्टों के अनुसार उनके अल्मा मेटर,जामिया दारुल उलूम हक्कानिया ने अमेरिकी और अफगान राजदूतों की मेजबानी की है और क्षेत्र में सुलह और शांति लाने के उद्देश्य से पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाई है। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से रमादान के मौके पर ऐसे धमाके होते रहे हैं।