
कुछ-कुछ ऐसा ही ही रहा है, मामला तहसील सदर एटा का है, सदर एटा तहसील में इस समय बहुत कुछ गड़बड़ हुआ है अगर सही और दुरुस्त नहीं हुआ तो जिले पर बैठे अधिकारियों को फ़जीहत उठानी पड़ेगी जो मुश्किल से संभल पायेगी।
तहसील एटा के सूत्रों द्वारा बताया गया है कि तहसील एटा सदर की लेखपाल संघ अध्यक्ष कल्पना भदौरिया के साथ किसी बात को लेकर तहसीलदार संदीप कुमार की ग्रुप वार्तालाप व प्रत्यक्ष रूप से भी मतभेद हुए है।
तहसीलदार एटा संदीप कुमार ने जिलाधिकारी एटा बनाया!!
जानकारी में आया है तहसीलदार एटा संदीप कुमार ने अपने पद की गरिमा को पार करते हुए लेखपाल कल्पना भदौरिया को ग्रुप पर IAS कल्पना भदौरिया जिलाधिकारी महोदया एटा तक सम्बोधन कर दिया है।
तहसीलदार संदीप कुमार यहां तक नहीं रुके चैट वार्ता करते हुए लेखपाल कल्पना भदौरिया को राजस्व परिषद की अध्यक्षा तक का पद दे दिया है. निश्चित रूप से यह वार्तालाप प्रशासनिक रूप से बेहद निचले स्तर की मालूम होती है।जो जरुरी नहीं भी हों सकती थी.
मामले का मुख्य रूप
सूत्र यह भी बताते है कि तहसीलदार एटा संदीप कुमार द्वारा एटा पोस्टिंग होने के दिन ही सदर तहसील के सभी लेखपालों को रात्रि 7 बजे मीटिंग के लिए एटा सदर तहसील के सभागार में उपस्थित रहने का आदेश था। जिसका विरोध सभी लेखपालों द्वारा किया गया था क्योंकि शासन के आदेश के अनुसार महिला कर्मचारियों को रात्रि में कैसे बुलाया जा सकता है।यही मुद्दा आगे बढ़ते हुए लेखपाल कल्पना भदौरिया के लिए नासूर बन गया। जिसका विरोध तहसील अध्यक्ष द्वारा किया गया था।
कई बार तहसीलदार एटा संदीप कुमार व लेखपाल कल्पना भदौरिया के बीच तहसील संघ की गरिमा को भी तार-तार करते हुए ग्रुप में देखे गए है।कई बार तहसीलदार संदीप कुमार लेखपाल को बता रहें है कि SDM साहब को सम्बोधन में उप जिलाधिकारी बोला करे….क्या सही है!क्या गलत है.!…. बताना जरुरी नहीं था।स्वविवेक के शब्द माने जाते है!
तहसीलदार संदीप कुमार के व्हाट्सप्प ग्रुप पर इस तरह से अपने पद से बाहर होकर बात करने से मामला बेहद जटिल हो गया है साथ ही मामले को तहसीलदार एटा ने जनपद के अधिकारियो के सज्ञान में लाकर लेखपाल कल्पना भदौरिया का स्थानांतरण अलीगंज तहसील करा दिया है जिससे जनपद एटा का लेखपाल संघ बेहद उग्र स्थिति में आ खड़ा हुआ है। स्थानांतरण के बाद लेखपाल को रिलीव भी कर दिया गया और 12 घंटे में लेखपाल के क्षेत्र पर अन्य लेखपालों की तैनाती भी कर दी गई है।
स्थानांतरण को इस तरह से किया गया है जैसे जनपद एटा में अगर लेखपाल कल्पना भदौरिया की पोस्टिंग रहती है तो बड़ी घटना घटित हों सकती थी। इतनी जल्दी तो भू माफिया से सरकारी जमीन भी मुक्त नहीं की जाती है…. जनपद एटा के तहसील सदर में हजारों बीघा भूमि पर अवैध कंब्ज़ा है।लेकिन मुक्त कराने के नाम पर नियम और क़ानून खड़ा हो जाता है। लेकिन इस प्रकरण में मेट्रो स्तर से काम हुआ है.. जिस कारण साफ है कि जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह की नजर अपने अधिकारियो के कृत्यो से हट चुकी है।तहसील स्तर के अधिकारी निरकुश हों चुके है।जमीनी स्तर के कार्यों पर जिलाधिकारी एटा की नजर तहसील के अधिकारियो तक ही सीमित रह गए है।…..
इस प्रकरण को बड़े अधिकारी सुलझा सकते थे।परन्तु एक जलेसर तहसील के प्रकरण में भी ऐसा ही कुछ आदेश हुआ था कि गबन हुआ भी है कि नहीं.. और आदेश कर दिया गया था।
जनपद के बड़े अधिकारियो को इस मामले को शांत कराना चाहिए और तहसीलदार संदीप कुमार के लिए कोई नया रास्ता बनाना ही उचित होगा क्योंकि संदीप कुमार के तहसील सदर का संचालन बेहद मुश्किल सा प्रतीत होता है।
हड़ताल पर लेखपाल संघ की तहसील अध्यक्ष लेखपाल कल्पना भदौरिया के साथ जनपद के सभी तहसील के लेखपाल भी लामबंध होते नजर आ रहें है।स्थिति ऐसी भी आ सकती है कि यह झगड़ा अनशन तक न पहुँच जाये क्योंकि झगड़े के कारण ही शून्य थे, हवा देने का प्रयास किया गया है।
जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह को इस प्रकरण में स्वयं सज्ञान लेकर मामले को शांत कराना चाहिए क्योंकि जिससे आम जनता व शासकीय कार्य लगातार प्रगति को छुए।