चंद्र शेखर को आम सभाओ में अपना राजनैतिक गुरु कहने वाले लोग मौन क्यों हैं

क्यों नहीं बोलते दिग्विजय सिंह, रविंद्र सिंह भाटी, अखिलेश प्रताप सिंह, आनंद मोहन सिंह, आनंद प्रताप सिंह,ओम प्रकाश सिंह, संजय सिंह, सुप्रिया श्रीनेत,मनीष सिसोदिया जैसे बीजेपी और सपा बसपा को क्षत्रिय समाज के नेता से तो कोई उम्मीद की नहीं जा सकती

और रही बात खरगे जैसे लोगों की तो सुनो चंद्र शेखर वो शख्स था ना की जब वो बलिया में ट्रेन पकड़ता था ना तो यहाँ दिल्ली की धरती काँप जाया करती थी….

चंद्र शेखर वो शेर था जिसने देश के जिस जिस कोने में क़दम रखा लोग बस उसके मुरीद हों गये,चंद्र शेखर वो शख्स था की जबतक वो रहा तब तक देश के किसी कोने में भी किसी की औकात नहीं थी की उस शख्स से आँख मिलाने की….

चंद्र शेखर वो शख्स था जिसने भोंडसी जैसे वीराने को भी बलिया बना दिया, चंद्र शेखर वो शख्स था जो कुर्सी और पद को अपने पैरो तले रखता था…

और मल्लिका अर्जुन खरगे तुमने चंद्र शेखर के साथ काम कभी नहीं किया हाँ उस दौर में तुम उनके आगमन के लिए उनके रास्ते पर कालीन जरूर बिछाया करते थे क्यूंकि उस समय तुम्हारी राजनैतिक हैसियत इतनी ही थी…

जब तक चंद्र शेखर जिए तब तक तुम्हारी उतनी औकात नहीं थीं की तुम उनके साथ काम कर सको…

बाकी चंद्र शेखर तो वो शेर था जो की सत्ता पर बैठे अहंकारीयों का अहंकार को अपने गमछे की फटकार से झाड़ देता था, शेर की तुलना कभी कुत्ते से नहीं होती, हाँ कुत्ते शेरो के ना रहने पर पब्लिसिटी के लिए अपनी तुलना कर लेतें हैँ वो अलग बात है…

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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