
करोड़ों का जीएसटी हड़पने मामले में मुरादाबाद के सोलह निर्यातकों को दोषी माना गया है। उन्हें जोखिम सूची से बाहर आने के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं दिए जाने की संस्तुति डायरेक्टरेट ऑफ एनालिटिक एंड रिस्क मैनेजमेंट से कर दी गई है। दो साल पहले सामने आए इस घोटाले में मुरादाबाद के ढाई सौ से ज्यादा निर्यातक फंस गए थे। उनका नाम वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत डायरेक्टरेट ऑफ एनालिटिक एंड रिस्क मैनेजमेंट की ओर से जोखिम वाली सूची में डाल दिया गया था। इन सभी निर्यातकों के जीएसटी रिफंड का भुगतान तत्काल प्रभाव से रोककर जांच बैठा दी गई थी। वित्त मंत्रालय के निर्देश पर सीजीएसटी विभाग के मेरठ कार्यालय ने घपले की जांच शुरू की। जोखिम सूची में शामिल सभी निर्यातकों से अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया। साथ ही निर्यातकों की फर्म का सीजीएसटी के अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन किया। जिन निर्यातकों के अभिलेखों का मिलान हो गया उन्हें चरणबद्ध तरीके से जोखिम सूची से बाहर करने की संस्तुति की जाती रही। काफी संख्या में निर्यातक जोखिम सूची से बाहर आ गए। अंतिम चरण में 61 निर्यातकों की जांच प्रक्रिया शुरू हुई। इनमें से 31 निर्यातकों को उनके अभिलेखों का मिलान हो जाने के चलते एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) देने की संस्तुति डीजीएआरएम से की गई है। जबकि, सोलह निर्यातकों को सीजीएसटी कार्यालय की तरफ से मांगी गई जानकारी व जरूरी दस्तावेज नहीं दिए जाने, भौतिक सत्यापन में उनकी फर्म अस्तित्व में नहीं पाए जाने के मद्देनजर उन्हें संदिग्ध और दोषी मानते हुए उनको एनओसी नहीं जारी किए जाने की संस्तुति की गई है। संदिग्ध सप्लायर्स से भी दस्तावेज तलब सोलह मामलों में निर्यातकों ने मांगे गए दस्तावेज नहीं दिए हैं। उन्हें संदिग्ध मानते हुए एनओसी नहीं देने की संस्तुति कर दी गई है। जांच के घेरे में आए संदिग्ध सप्लायर्स को भी मांगी गई जानकारी एवं दस्तावेज तत्काल केंद्रीय माल एवं सेवाकर कार्यालय, मेरठ में जमा कराने को कहा गया है। शोभित सिन्हा, डिप्टी कमिश्नर, सीजीएसटी एवं सेंट्रल एक्साइज