“जनता के टैक्स पर पलने वाले अफसर, नेताओं के सामने चपरासी जैसे क्यों खड़े हैं?”

रीवा जिले में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने प्रशासनिक अधिकारियों की असली हकीकत उजागर कर दी है। तस्वीर में रीवा जिले के कलेक्टर और एसपी साहब, नेताओं के सामने हाथ बांधे ऐसे खड़े हैं जैसे उनकी पहचान सिर्फ एक चपरासी की हो! जब आम जनता अपनी समस्याएं लेकर इन अधिकारियों के पास जाती है, तो घंटों इंतजार के बावजूद उन्हें मिलने का मौका नहीं मिलता। बाहर खड़े-खड़े उम्मीद करते हैं कि शायद उनकी समस्या सुनी जाएगी, लेकिन वही अफसर नेताओं के सामने ऐसे खड़े नजर आते हैं जैसे अपनी पहचान और पद की गरिमा ही भूल गए हों। जनता का टैक्स, जो इन अधिकारियों की तनख्वाह और रसूख को मजबूत करता है, वह आखिर किसके लिए है? जनता का पैसा, जनता की समस्याएं और जनता की उम्मीदें — इन सबका ध्यान रखना क्या इनका कर्तव्य नहीं? “जब जनता टैक्स देना बंद कर दे, तो इनकी कुर्सियां तक हिल जाएंगी!” यह तस्वीर हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या प्रशासन सिर्फ नेताओं की सेवा के लिए है? क्या आम जनता की समस्याओं का समाधान करना इनका काम नहीं? यह तस्वीर एक यादगार सबक है कि जनता के प्रति संवेदनशीलता और जिम्मेदारी क्या होती है। अधिकारी अगर अपनी वफादारी जनता के बजाय नेताओं के प्रति दिखाएंगे, तो इतिहास इन्हें कभी माफ नहीं करेगा। अधिकारियों को यह समझना होगा कि जनता ही उनकी असली ताकत है। अगर जनता इनकी अनदेखी करती रही, तो जनता का विश्वास टूटेगा और प्रशासन की गरिमा भी।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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