मऊगंज के ग्राम सीतापुर में नाबालिग का अपहरण और धर्म परिवर्तन का मामला

मऊगंज के ग्राम सीतापुर में नाबालिग का अपहरण और धर्म परिवर्तन का मामला—पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल, परिजनों ने मांगा न्याय।

मऊगंज जिले के ग्राम सीतापुर में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें 16 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया है। पीड़िता के पिता, विश्वनाथ गुप्ता, ने इस मामले में लौर थाना पुलिस और जिला प्रशासन पर गंभीर लापरवाही और पक्षपात का आरोप लगाया है। घटना 2 जनवरी 2025 की शाम की है, जब इमान अली अंसारी नामक व्यक्ति ने कथित तौर पर लड़की को अगवा किया। परिजनों का दावा है कि लड़की को पहले से साजिश के तहत गायब किया गया और घटना की जानकारी देने के बावजूद पुलिस ने आरोपियों को संरक्षण दिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस न केवल निष्क्रिय रही, बल्कि उनके साथ अनुचित व्यवहार भी किया गया। जब शिकायत दर्ज कराने के लिए लौर थाना पहुंचे, तो थाना प्रभारी ने उन्हें अपमानित कर भगा दिया। पिता ने बताया कि पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लेने के बजाय बहानेबाजी की और घटना को टालने का प्रयास किया। इस दौरान, आरोपी और उनके परिवार ने पीड़िता के परिजनों को जान से मारने की धमकी दी, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही। पीड़िता के पिता विश्वनाथ गुप्ता का कहना है कि उनका पूरा परिवार दहशत में है। वे कई दिनों से अपनी बेटी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन प्रशासन की बेरुखी ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन आरोपी पक्ष से प्रभावित नजर आ रहे हैं।

गंभीर आरोप:

  1. पुलिस की निष्क्रियता: घटना के तीन दिन बाद भी पीड़िता का कोई पता नहीं लग पाया है।
  2. आरोपियों को संरक्षण: आरोप है कि इमान अली अंसारी और उसके सहयोगियों पर कार्रवाई करने के बजाय, पुलिस उन्हें बचाने का प्रयास कर रही है।
  3. धमकियों को नजरअंदाज करना: आरोपी परिवार द्वारा दी गई धमकियों के बावजूद पुलिस ने कोई सुरक्षा कदम नहीं उठाए।

मांग और सवाल:

  • क्या मऊगंज प्रशासन नाबालिग को सुरक्षित वापस लाने में सक्षम होगा?
  • क्या पुलिस अपनी निष्क्रियता और पक्षपातपूर्ण रवैये के लिए जवाबदेह होगी?
  • परिजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

इस मामले ने स्थानीय स्तर पर आक्रोश पैदा कर दिया है। ग्रामीणों ने भी पुलिस और प्रशासन के रवैये की कड़ी निंदा की है। लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में प्रशासन की लापरवाही अपराधियों को बढ़ावा देती है और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। यदि पुलिस और प्रशासन इस मामले में तुरंत और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं करते, तो यह न्याय व्यवस्था पर एक काला धब्बा साबित होगा। ऐसे में मुख्यमंत्री और उच्च अधिकारियों को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। यह घटना केवल एक नाबालिग के अपहरण और धर्म परिवर्तन का मामला नहीं है, बल्कि प्रशासनिक विफलता का भी प्रतीक है। अब देखना होगा कि क्या कानून का राज स्थापित होगा या अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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