भारत में मीडिया पालिका, मीडिया कल्याण बोर्ड, और पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू कराने के लिए एक व्यापक बनी रणनीति।
नई दिल्ली।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने कहा कि पत्रकारों के सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय मीडिया फाउंडेशन के द्वारा संघर्ष की एक मजबूत रणनीति तैयार की गई है।
बरेली में मीडिया अधिकारियों के साथ हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने रणनीति की तैयारी पर विचार विमर्श किया।
उन्होंने कहा कि सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करने की एक मजबूत रणनीति तैयार की गई है, जिसके संदर्भ में निम्नलिखित बिंदुओं पर जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है।
- जागरूकता अभियान: सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करने की रणनीति के तहत, जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है ताकि लोगों को इन कानूनों के महत्व और उनके अधिकारों के बारे में पता चल सके।
- संसदीय पहल: संसद में इन कानूनों को पारित कराने के लिए दबाव डालना आवश्यक है। इसके लिए सांसदों और मंत्रियों से मिलने, प्रदर्शन करने, और याचिकाएं दाखिल करने की आवश्यकता हो सकती है।
- मीडिया की भूमिका: मीडिया को अपनी शक्ति का उपयोग करके इन कानूनों को लागू कराने के लिए दबाव डालना चाहिए। इसके लिए मीडिया को अपने प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
- सामाजिक संगठनों की भूमिका: सामाजिक संगठनों को भी इन कानूनों को लागू कराने के लिए दबाव डालना चाहिए। इसके लिए उन्हें सड़क पर उतरना, प्रदर्शन करना, और याचिकाएं दाखिल करनी चाहिए।
- सरकार के साथ संवाद: सरकार के साथ संवाद स्थापित करना आवश्यक है ताकि उन्हें इन कानूनों के महत्व के बारे में समझाया जा सके। इसके लिए सरकारी अधिकारियों से मिलने, पत्र लिखने, और याचिकाएं दाखिल करने की आवश्यकता हो सकती है।
उन्होंने कहा कि इन कदमों को उठाकर, हम मीडिया पालिका, मीडिया कल्याण बोर्ड, और पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए दबाव डाल सकते हैं और भारतीय मीडिया को मजबूत बना सकते हैं।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार के साथ जॉइंट केंद्रीय अध्यक्ष मैनेजमेंट मदन मोहन पाठक, बरेली महासचिव नवाब सिंह , मन्नू यादव, पारस यादव गार्ड साहब, जगपाल सिंह आदि लोग मौजूद रहे।