बारिश के चलते जलभराव और कच्चे मार्ग दुकानदारों से लेकर लोगों के लिए बन जाते हैं मुसीबत
ठेकेदारों की दादागिरी और मनमानी से परेशान रहते हैं कार्यक्रम आयोजक और दुकानदार
एटा। जिले में प्रत्येक वर्ष लगने वाले रंग महोत्सव (नुमाइश) का राजकीय जिला कृषि एवं औद्योगिक विकास प्रदर्शनी (एटा महोत्सव) के नामकरण से लेकर इसको भव्य एवं बड़े स्तर पर स्थापित करने का जितना श्रेय निवर्तमान जिलाधिकारी अमित किशोर को जाता है तो वहीं इसी एटा महोत्सव को बर्बाद और बदहाल करने का श्रेय भी उनके बाद आए अधिकारी ले चुके हैं।
बता दें निवर्तमान जिलाधिकारी अमित किशोर के नेतृत्व में एटा महोत्सव में भव्य पंडाल के साथ ही पक्की सड़कों का निर्माण करवाया गया था जिसके चलते भारी बारिश के बाद भी आवागमन में कोई असुविधा नहीं हुई थी लेकिन उसके बाद प्रत्येक वर्ष ठेके की रकम तो बढ़ती गई लेकिन सुविधाओं में कटौती होती चली गई।
हल्की-फुल्की बारिश होने के पश्चात ऊंचे दामों में जगह लेकर दुकान लगाने वाले दुकानदारों की दुकानदारी कई दिनों के लिए ठप्प पड़ जाती है जिसके चलते अक्सर देखा जाता है कि दुकानदार घाटा होने का रोना रोते हैं।
ऐसा भी देखा गया है कि दुकानदारों के घाटे को देखते हुए प्रशासन कुछ और दिनों की दुकानदारों को दुकान लगाने की छूट दे देता है लेकिन ठेकेदार ठेके की समय सीमा समाप्त होने पश्चात भी कुछ गुंडों के बल पर दुकानदारों से वसूली करते हैं और दुकानदारों के साथ अभद्रता और बदतमीजी करते हैं साथ ही ठेकेदारों की दादागिरी से कार्यक्रम आयोजक भी परेशान रहते हैं, प्रदर्शनी को लेकर आयोजकों के साथ हुई बैठक में आयोजकों द्वारा प्रशासन के सामने ठेकेदारों की दादागिरी के मुद्दे को भी उठाया गया था।
लगातार कई वर्ष से एटा महोत्सव पर लगे फ्लाॅप के टैग को हटाने में जिला प्रशासन कितना कामयाब हो पाता है यह भी देखना दिलचस्प होगा क्योंकि इस बार ना तो कोरोनावायरस का प्रकोप फैलने का डर है और न हीं धन का अभाव है।