महाकुंभ 2013 में इसी अखिलेश यादव ने आजम खान जैसे जेहादी को मेला प्रभारी बना दिया था, आजम खान ने हिंदूओं के त्योहार को खून से रंगने के लिए एक मास्टर प्लान बनाया और मौनी अमावस्या के स्नान के दिन जिस समय लगभग पांच करोड़ हिंदू श्रृद्धालु इलाहाबाद में स्नान के लिए आए थे उसी दिन शहर में सिविल लाइंस और जीरो रोड के बस अड्डे को हटाकर शहर से बीस किलोमीटर दूर कर दिया गया चौबीस घंटे पहले, नतीजा संगम क्षेत्र में दिन भर में लगभग तीस से चालीस किलोमीटर का पैदल सफर करके थके-हारे हिंदू श्रृद्धालुओं के पास इतनी ताकत नहीं थी कि वापस जाने के लिए वो बीस किलोमीटर का पैदल सफर करें, पैदल इसलिए की उस दिन शहर के सारे आटो रिक्शा को प्रतिबंधित कर दिया गया था
सभी श्रद्धालु रेलवे स्टेशन पर जमा होने लगे, पुलिस से लगाएं एलाऊ तक ने मेला प्रभारी आजम खान को बताया कि इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर इतनी क्षमता नहीं है कि वो दस-बीस लाख लोगों को रोक लें मगर जेहादी आजम खान के मन में तो कुछ और चल रहा था, इसी दौरान एक सिपाही ने रेलवे स्टेशन पर बेतहाशा भीड़ में अंधाधुंध लाठियां चलाईं और भगदड़ करा दिया
देखते ही देखते सैकड़ों लोग कुचलकर मारे गए जिनमें ज्यादातर बुढ़े बच्चे और महिलाएं थी
प्रशासन ने मृतकों की संख्या सैंतीस बताई और बाकी सैकडों शवों को रातों-रात कौशांबी में गंगा के किनारे रेत में दफन कर दिया
उन गुमनाम शवों के मृत्यु का राज गंगा भी दबा नहीं पाईं और उसी साल उत्तराखंड में गंगा का तांडव हुआ, कौशांबी में दफन की गई लाशें जो आधी सड़ी थी वो निकलने लगी गंगा के प्रबल धारा में, तब इसी अखिलेश यादव ने सफाई दी थी कि वो उत्तराखंड की लाशें है जबकि उत्तराखंड और इलाहाबाद के बीच में दर्जनों बैराजों पर कहीं भी वो लाशें नहीं दिखाई पड़ी थी
हिंदु श्रृद्धालुओं के खून से संगम पूरा करने के बाद अखिलेश और आजम खान अमेरिका गए थे अपनी पीठ थपथपाने, लेकिन अमेरिकन सरकार को आजम खान के आतंकवादियों से रिश्तों के बारे में पता था नतीजा अमेरिका के एअरपोर्ट पर एंडिसकोपी मशीन लगाकर पैजामा उतरवाकर नंगा करके इस जेहादी की तलाशी ली गई और ये जेहादी वहां से भाग खड़ा हुआ …