
सरकार का मूल तर्क यह है कि वह समाज में व्यवस्था बनाए रखने, अपराध रोकने, और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। लेकिन एक दिलचस्प सवाल उठता है: यदि लोगों पर खुद के जीवन को सही ढंग से चलाने का भरोसा नहीं किया जा सकता, तो उन्हीं लोगों पर दूसरों के जीवन पर नियंत्रण रखने का अधिकार कैसे दिया जा सकता है? यह विरोधाभास गहरे चिंतन की मांग करता है।
1. सरकार की आवश्यकता और तर्क-
सरकार का मुख्य उद्देश्य कानून और व्यवस्था बनाए रखना, अपराधों को रोकना, और सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करना है।
यह धारणा थॉमस हॉब्स जैसे दार्शनिकों की सोच से आती है, जिन्होंने कहा कि बिना सरकार के जीवन “क्रूर, हिंसक और छोटा” हो सकता है।
सरकारें स्वयं को एक संरक्षक के रूप में प्रस्तुत करती हैं, जो समाज को अराजकता से बचाती हैं।
2. सरकार का विरोधाभास-
सरकारें भी आखिरकार लोगों से ही बनी हैं, और यदि लोगों को स्वाभाविक रूप से स्वार्थी या भ्रष्ट मान लिया जाए, तो सरकारें भी इन्हीं कमजोरियों से अछूती नहीं रह सकतीं।
इतिहास में ऐसी कई घटनाएं देखने को मिली हैं जब सरकारों ने:
अत्याचार और दमन किया (जैसे अधिनायकवादी शासन)।
भ्रष्टाचार में लिप्त हुईं, जहां जनकल्याण की जगह सत्ता और धन का दुरुपयोग हुआ।
युद्ध और भेदभाव को बढ़ावा दिया।
3. समाधान: सरकार को कैसे जिम्मेदार बनाएं?
इस विरोधाभास को हल करने का एक ही तरीका है कि सरकार की शक्ति पर अंकुश लगाया जाए और इसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाया जाए। इसके लिए कुछ उपाय:
(i) संवैधानिक सीमाएं:
सरकार की शक्तियों को संविधान और कानूनों के जरिए सीमित किया जाए ताकि नागरिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।
(ii) पारदर्शिता और जवाबदेही:
सरकार की कार्यप्रणाली पारदर्शी हो और नागरिक उसकी नीतियों और फैसलों पर सवाल पूछ सकें।
(iii) स्वतंत्र संस्थान:
स्वतंत्र मीडिया, न्यायपालिका, और चुनाव आयोग जैसी संस्थाएं सरकार की गतिविधियों पर निगरानी रखें।
(iv) नागरिकों की जागरूकता:
लोगों को अपनी सरकार के कामकाज और अधिकारों के प्रति शिक्षित किया जाए, ताकि वे जागरूक और सक्रिय नागरिक बनें।
4. क्या सरकार केवल बुराई का स्रोत है?
यह मानना कि सरकार केवल बुराई करती है, अतिवादी दृष्टिकोण हो सकता है। सरकारें:
सार्वजनिक सेवाएं (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन) प्रदान करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करती हैं।
आपदा प्रबंधन और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करती हैं।
हालांकि, इन सबके बावजूद, सत्ता का दुरुपयोग रोकना आवश्यक है।
निष्कर्ष: लोगों और सरकारों के बीच संतुलन
सरकार का विरोधाभास हमें यह सिखाता है कि न तो लोग पूरी तरह से भरोसेमंद हैं और न ही सरकारें। सही समाधान यही है कि:
1. सरकार को सीमित और जवाबदेह बनाया जाए।
2. नागरिकों को सशक्त और जागरूक किया जाए।l
सवाल यह नहीं है कि सरकार चाहिए या नहीं, बल्कि यह है कि कैसी सरकार चाहिए।
“शक्ति का नियंत्रण ही सच्चा लोकतंत्र है।”
Suresh Pandey