
एटा,जिले के होटल हो या सरकारी प्राइवेट ईमारत के नक़्शे पास कराने के लिए बाबू एम.एम.ओझा को कौन नहीं जानता है।
विनिमित क्षेत्र के निर्माण में जो भी ईमारत का निर्माण कार्य किया जाता है. बाबू एम.एम.ओझा के संपर्क से निर्माण नहीं हो सकता था। लेकिन रिटायर्ड होने के बाद भी अगर बाबू एम.एम.ओझा आज भी इस सीट पर बैठ कर काम कर रहे है यह बड़ी गड़बड़ तो है। अब यह गड़बड़ है या बसूली की डोर यह भी समझ आ रहा है!
किसकी सरपंरस्ती में ओझा
प्रयागराज के रहने वाले बाबू एम.एम.ओझा की पूरी नौकरी इस जिले में होटल और ईमारत के नक़्शे पास करने में लगी रही। जिले के कई बड़े बाबू को इस सीट के आसपास भी इस बाबू ने भटकने नहीं दिया था क्योंकि जनपद एटा के यही एक मात्र चित्रगुप्त बने हुए थे।
रिटायर्ड होने के बाद भी यह बाबू आज भी DM ऑफिस के आसपास देखा जा सकता है।यही कारण है कि आज प्रशासन की उसी सीट पर कब्जाधारी बना हुआ है।…
आपको ज्ञात ही होगा कि निर्माण के नक्शे विनिमित क्षेत्र के बिना पूर्ण नहीं होते है और इस सीट पर कई बरसों से एक मात्र क्षत्रप के रूप में एम.एम.ओझा काबिज रहे है। अब ज़ब रिटायर्ड हो चुके है तो ऐसी कौन से जिले के कार्य या बसूली बाकी रह गई है कि सीट पर रहना इस बाबू का ही काम रह गया है।
अगर इस बाबू के विषय में जानकारी जुटाई जाये तो कई होटल व ईमारतो के बाबू अपना दर्द बया करते है क्योंकि इस बाबू एम.एम. ओझा ने जिलाधिकारियों का डर दिखा कर अवैध बसूली में कोई कसर नहीं छोड़ी है।जिले की एक मात्र ईमारत नहीं है जिसे इस बाबू द्वारा किसी रूप में दबाया न गया हो..जिले के होटल,रेशास्त्रों,
हॉस्पिटल,आम नागरिकों की बिल्डिंग……
जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह कब हटायेगे!
बाबू एम.एम.ओझा को आये दिन आपके ऑफिस के आस-पास के ऑफिस में देखा गया है. ज़ब कि रिटायर्ड होने के बाद कर्मचारी अपने घर जाता है लेकिन ओझा विनिमित क्षेत्र पर अधिक छा गए है और अपने पुराने ऑफिस में ही नजर आते है।तो कब हटायेगे….!!!
सूत्र यह भी बता रहे है कि एम एम ओझा जिले की कई बिल्डिंगो को नोटिस भी दिला रहे है!जो रिटायर्ड हो चूका हो उसके साथ जनता का रुख बदल जाता है ऐसे में एम.एम.ओझा को जिले से पलायन कर देना चाहिए क्योंकि यह एटा है.. बाबू…कटरी वाला एटा !!