प्रशासन के आश्वासन के बाद पीड़ित पत्रकारों का आमरण अनशन हुआ समाप्त

प्रशासन के आश्वासन के बाद पीड़ित पत्रकारों का आमरण अनशन हुआ समाप्त

पुलिस उपाधीक्षक आलोक मिश्रा ने जूस पिलाकर किया स्वागत।

बांदा: बालू माफियाओं द्वारा हुई लूट, मारपीट और जानलेवा हमले तथा बांदा जनपद के जसपुरा थाना प्रभारी अर्जुन सिंह की गलत कार्यप्रणाली के चलते क्षेत्रीय पत्रकार अंशू गुप्ता सहित आधा सैकड़ा बुद्धिजीवी पत्रकारों ने 17 अगस्त से मुख्यालय स्थित अशोक लाट पर आमरण अनशन शुरू किया था।
पिछले छह दिनों से लगातार चल रहे आमरण अनशन से प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी चिंतित थे। पत्रकार अंशू गुप्ता और रामकिशोर उपाध्याय की एक दिन पहले अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण जिला अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती भी करवाया गया था।
शनिवार को सुबह से ही बांदा प्रशासन के अधिकारी और पुलिस कर्मी अनशन स्थल पर मुस्तैद थे क्योंकि अनशन कर रहे पत्रकारों द्वारा यह बयान दिया गया था कि यदि हमारे साथ न्याय ना हुआ तो 24 अगस्त दिन सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय बांदा के सामने आत्मदाह किया जाएगा। एक पत्रकार द्वारा दी गई चेतावनी से प्रशासन हरकत में आया और पुलिस उपाधीक्षक आलोक मिश्रा द्वारा न्यायपूर्ण तथा उचित कार्यवाही के आश्वासन के बाद अनशनकारी पत्रकारों ने जूस पीकर अनशन तोड़ा।
लगभग आधा सैकड़ा पत्रकारों ने नारे बाजी करते हुए अपनी जीत का इजहार किया। पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि पत्रकारिता करना कोई जुर्म नहीं है। पत्रकारिता एक धर्म है और समाज में हो रहे क्रिया कलापों को उजागर करना हम पत्रकारों का कर्तव्य है। परंतु बहुत अफसोस है कि बिना किसी आर्थिक लाभ अथवा वेतन ना मिलने के बावजूद भी हम सभी पत्रकार अपना कर्तव्य इस वैश्विक महामारी में पूरी तल्लीनता से लगातार करते चले आ रहे हैं और पुलिस की कार्यशैली से हम सभी आहत हुए थे परंतु अब विश्वास है कि हमारे साथ तो क्या किसी के साथ अन्न्याय नहीं होगा। सभी पत्रकारों ने पुलिस उपाधीक्षक आलोक मिश्रा सहित सभी का अभिवादन करते हुए धन्यवाद दिया।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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