अंत में प्रार्थना

बांग्लादेश में हिंदुओं, जिनमें बड़ी संख्या में दलित हैं, वे इतिहास का तीसरा बड़ा हमला और कत्लेआम (1946-47, 1971, 2024) झेल रहे हैं।

कितने मरेंगे, कितने रेप के शिकार होंगे, कितने घर जलाए जाएंगे, इसका लेखाजोखा शायद इतिहास में भी दर्ज नहीं होगा। जो लिखने वाले होंगे, वे भी शायद ही ज़िंदा बचेंगे।

ये दक्षिण एशिया के सबसे अभागे लोग साबित हुए।

“भारत विभाजन की सबसे अभागी संतानें।”

जिन्ना और मुस्लिम लीग पर भरोसा करके और इस बारे में बाबा साहब के विचारों को न मानकर महाप्राण जोगेंद्र नाथ मंडल से जो ऐतिहासिक गलती हुई उसकी क़ीमत लाखों लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। महाप्राण को खुद भागकर भारत आना पड़ा, जबकि वे पाकिस्तान के लॉ मिनिस्टर थे पर खुद को नहीं बचा पाए।

बाबा साहब ने साफ कहा था, लिखकर बताया था कि इस्लामिक राष्ट्र में साथ रहना संभव नहीं है। (पढ़िए उनकी किताब थॉट्स ऑन पाकिस्तान)

मुस्लिम लीग का ब्रदरहुड या भाईचारा सिर्फ़ मुसलमानों के लिए है। ये मुस्लिम भाईचारे की बात है।

मुस्लिम लीग के छल ये शिकार लोग इतने अभागे हैं कि इनको नागरिकता देने की कोशिश जब CAA के ज़रिए हुई तो भारत में कुछ लोग इन दुखियारे लोगों के भी ख़िलाफ़ हो गए। सरकार भी ढीली पड़ गई।

मरे हुए को मारने की क्रूरता इसे ही कहते हैं।

हम सब या भारत सरकार आज की स्थिति में बहुत सीमित भूमिका में है। लेकिन उससे और हम सबसे जो बन पड़े, वह करना चाहिए। क्या करें, किसी को नहीं मालूम। हालात बेक़ाबू हैं। इसलिए प्रार्थना। 🙏🏽

मेरे साथ इन लोगों की कुशलता की प्रार्थना में शामिल हों। भवतु सब्ब मंगलम। सबका कल्याण हो। साधु साधु।(कॉपी पेस्ट)

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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