रिलायंस सीबीएम प्रोजेक्ट के कारण जल संकट से ग्रामीण जनो का जल जीवन खतरे मे।

बून्द, बून्द पानी के लिए तरसते ग्रामीण,
भारी जल संकट से जूझ रहा ग्रामीण क्षेत्र,

शहडोल, जैसा की आप जानते है गर्मी के सीजन मे पानी जैसी मूलभूत जरुरत लोगों को ज्यादा रहता है मनुष्य ही नहीं बल्कि जीव, जंन्तु, पशु, पक्षी भी पानी के लिए भटकते है. केंद्र व् राज्य शरकार के महत्वपूर्ण योजना जल जीवन मिशन, के माध्यम से घर घर पानी पहुंचाने का काम शरकार कर रही है.पहले तो शहरी क्षेत्रों मे पानी की समस्या रहती रही लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों मे यह समस्या ज्यादा देखने को मिल रहा है.शहडोल जिला जो की आदिवासी अंचल कहलाता है और आदिवासियों की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने मे शरकार कोई भी कसर नहीं छोड़ रही फिर भी गर्मियों मे पानी की भारी समस्या ग्रामीण क्षेत्रों मे देखने को मिल रहा है. देश का सबसे पिछड़ा हुआ एक समाज वैगा आदिवासी जो जंगलो में झोपड़ी बनाकर रहते थे उनके हितों को ध्यान में रखते हुए जिन्हे केंद्र शरकार के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना एक नियमित समय पर पूरा करने का लक्ष्य है लेकिन पानी की कमी होने के कारण शरकार का यह लक्ष्य अधूरा दिख रहा है.वैसे तो गर्मी के मौसम मे पानी की समस्या हर जगह ही रहती है जिसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन शहडोल के आदिवासी अंचल के कुछ ऐसे गांव हैं जो रिलायंस कम्पनी से प्रभावित हैं जहाँ पर रिलायंस सी.बी.एम.प्रोजेक्ट के बोर वेलों के कारण भी पानी की भारी संकट से ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है. वैसे तो रिलायंस कम्पनी ने जल संरक्षण से सम्बंधित कुछ कार्य किये है जैसे की पुराने तालाबों को गहरी करण, कहीं पर नालों मे स्टाप डैम्प, और एकाध बोर लेकिन कोई विशेष फायदा देखने को नहीं मिल रहा गर्मी आते ही सारे तालाब व् नाले सूख जाते है. और ट्यूबवेळ से पानी आना कम हो जाता है. एक तरफ जहाँ अप्रैल आते ही लगभग सभी जगह नए ट्यूबवेलों पर जिला प्रशासन के द्वारा प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ रिलायंस के वोर वेळ चालू रहतें हैं.जो हैवी मासीनों के द्वारा जमीन के अंदर लगभग 2000, फिट से लेकर 5000, हजार फिट तक खुदाई करते हैं और जमीन के अंदर भारी मात्रा मे विस्फोटक पदार्थ डालकर ब्लास्ट करतें हैं तब जाकर मीथेन गैस निकल पाता है इतना ही नहीं मीथेन गैस के साथ साथ प्रतिदिन हजारों लीटर पानी भी निकल कर बाहर चला जाता है अब ऐसे में जल संकट नहीं होगा पानी की कमी नहीं होगी तो क्या होगा हमारा मानना है की जिस तरह अमजनों के लिए गर्मियों में नये ट्यूबवेळ व् बोर करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है उसी तरह गर्मियों में रिलायंस कम्पनी के बोर वेलों पर भी प्रतिबन्ध लगाने की अवश्यकता है जिससे की इस भीषण गर्मी में कमसेकम जल संकट उत्पन्न ना हो,और पानी की समस्या से बचा जा सके,
हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है की आपके पत्राचार के माध्यम से राज्य शरकार और जिला प्रशासन तक बात पहुंचें और उनके द्वारा इस विषय को गंभीरता से लेते हुए विचार कर कोई ठोस कदम अवश्य ही उठाये जायेंगे, जी धन्यवाद

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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