फुल फ्रेश एसडीओ देवाआनंद शुक्ला, श्रीमती आकांक्षा तिवारी, बृजेश विश्वकर्मा के अलावा और कई आरईएस कार्यालय में अटैच
कोरोना काल के समय अमृत सरोवर योजना जिसमें पोखरों की श्रमको द्वारा खुदाई कर उसे सुंदरीकरण करना था, लेकिन भ्रष्ट प्रभारी एसडीओ पुरुषोत्तम शुक्ला ने बिना भौतिक सत्यापन किये घर बैठे मूल्यांकन कर किया करोड़ों का घोटाला
तत्कालीन छतरपुर जनपद में पदस्थ भ्रष्ट,दारूखोर प्रभारी एसडीओ पुरुषोत्तम शुक्ला ने अमृत सरोवर योजना को भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ा दिया
चरण वंदना करने में माहिर भ्रष्ट उपयंत्री पुरषोत्तम शुक्ला सालों से बने प्रभारी जनपद एसडीओ,करोड़ों के किए भ्रष्टाचार, होंगे उजागर

छतरपुर। भारत सरकार की मनरेगा योजना जो कि गांव में जरूरतमंद मनरेगा श्रमिकों को रोजगार देने के लिए सरकार ने शुरू की थी। सरकार ने तमाम परियोजना चालू कर उस पर मनरेगा श्रमिकों को रोजगार देने का रास्ते बनाए हैं। लेकिन गांव में बन रहे अमृत सरोवर योजना जिसमें पोखरों की खुदाई कर उसे सुंदरीकरण करना था, लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अमृत सरोवर योजना को भ्रष्टाचार के भेंट कर दिया। श्रमको की कागजों में फर्जी मजदूरी दिखाकर किया करोड़ों रुपयों का किया भुगतान। मजदूरों को मजदूरी के नाम पर यहां कुछ नहीं मिला के लग रहे आरोप। छतरपुर जनपद में अमृतसर सरोवर कार्य की बागडोर थामी भ्रष्ट प्रभारी एसडीओ पुरुषोत्तम शुक्ला ने। लोगों ने फर्जी मस्टर रोल लगाकर भुगतान भी कर लिया। सूत्रो की अगर मानें भ्रष्ट प्रभारी एसडीओ पुरुषोत्तम शुक्ला न तो कभी मौके पर देखने जाते और न ही मौके पर कोई मनरेगा मजदूर ही काम करते थे। केवल कागजों में फर्जी मजदूर दिखा भुगतान कर लिया जाता था। नाम न छापने की शर्त पर छतरपुर जनपद के नजदीक पंचायत के पूर्व सरपंच ने बताया कि 2 मनरेगा के अंतर्गत अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत पंचायतों में तालाब एवं स्टाफ डेम बनाए जाने थे, जिसकी कीमत लगभग 15-15 लाख रुपए थी। जिसका जीता जागता उदाहरण है छतरपुर जनपद की करीब 50 ग्राम पंचायत में देख लें।
मनरेगा अंतर्गत एक महत्वाकांक्षी योजना आई, जिसे अमृत सरोवर योजना नाम दिया गया। जिस तेजी से इस योजना पर काम शुरू हुआ और सरोवरों का चयन किया गया, उसे देखकर लगता था कि हकीकत में सरोवरों का उद्धार हो जाएगा। परंतु चमचागिरी और चरण वंदना करने में माहिर पुरुषोत्तम शक्ला, जिसका मूल पद उपयंत्री है, लेकिन सालों से जनपद में एसडीओ के पद पर पदस्थ है, करोड़ों की राशि को बिना भौतिक सत्यापन किये घर बैठे मूल्यांकन कर किया करोड़ों का घोटाला।
चरण वंदना करने में सातिर प्रभारी एसडीओ पुरुषोत्तम शुक्ला ने अपनी चमचागिरी और सुविधा शुल्क की दम पर फुल फ्रेश एसडीओ को आरईएस कार्यालय में में लाइन में लगा दिया। सरी योजनाओं की भांति इस योजना में भी भ्रष्टाचार का घुन इस तरह से घुसा कि इस योजना को अपने उद्देश्य से ही भटका दिया।
कोरोना काल में मनरेगा के अंतर्गत अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत पंचायतों में तालाब एवं स्टाफ डेम बनाए जाने थे, जिसकी कीमत लगभग 15-15 लाख रुपए थी, भ्रष्ट एसडीओ शुक्ला की मिली भगत से सरपंच, सचिव ने पुराने तालाब और स्टाफ डेम को नया दिखाकर करोड़ का पैसा हजम कर दिया था। मौके पर जाकर किया जाना था भौतिक सत्यापन, लेकिन इंद्रप्रथ कॉलोनी में घर बैठे मूल्यांकन कर किया करोड़ों का हेर फेर।
लेकिन भ्रष्ट प्रभारी एसडीओ पुरुषोत्तम शुक्ला ने 40-50 प्रतिशत कमीशन के चलते पुराने तालाब और स्टाफ डेम को नया दिखाकर किया करोड़ों का घोटाला, इसी भ्रष्टाचार की राशि से जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को करता था खुश, ताकि पद भी बना रहा और राशि को भी ठिकाने लगाया जा सके। पूर्व सरपंचों ने आरोप लगाए कि आज के समय आये से कई अधिक गुना संपत्ति की हासिल, जिसकी होगी लोकायुक्त में शिकायत।