पुस्तकालय की‌ बेशकीमती किताबें बनी कूड़े का ढेर

नगरपालिका की बड़ी लापरवाही….
पुस्तकालय की‌ बेशकीमती किताबें बनी कूड़े का ढेर

एटा। पुस्तकों में जीवन बसता है संस्कार पनपते हैं संस्कृतियां संरक्षित होती हैं। ऐसे में पुस्तकालय और प्राचीन किताबों का जीवन में क्या महत्व होता है इसे शब्दों में बयां कर पाना शायद संभव न हो। लेकिन नगरपालिका के लिए न तो पुस्तकों का महत्व है और न ही पुस्तकालय का। शायद यही कारण है पुस्तकालय की बेशकीमती प्राचीन किताबों का अस्तित्व समाप्त हो गया।
बता दें नगरपालिका की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है मेहता पार्क स्थित पुस्तकालय की बेशकीमती किताबें कूड़े का ढेर बनी हुई हैं। जो‌ पुस्तकें लोगों के हाथों में होनी चाहिए थी वे प्राचीन बेशकीमती किताबें नगरपालिका के‌ वाटर बाॅक्स में गंदगी और कूड़े का ढेर बनी हुई हैं।
नगरपालिका की शिक्षा और किताबों के प्रति बड़ी लापरवाही देखकर पुस्तक प्रेमियों और युवाओं में काफी नाराजगी है साथ ही नगर पालिका के अधिकारी भी इसे लेकर संजीदा नहीं हैं।
जिले के तेजतर्रार जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह को इसकी जांच करानी चाहिए आखिर इन प्राचीन बेशकीमती किताबें का अस्तित्व क्यों समाप्त करा दिया गया..? साथ ही इन प्राचीन किताबों को कूड़े का ढेर बनाने वाले लापरवाह लोगों पर कड़ी कार्यवाही अमल में लानी चाहिए जिससे भविष्य में प्राचीन पुस्तकों को पुनः कोई भी व्यक्ति कूड़े का ढेर बनाने की गलती न‌ करे।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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