
देवत्व और मानवता के कल्याण के लिए विषपान करने वाले देवाधिदेव शिवजी के भक्त उनके नाम पर भांग सेवन और सुरापान(शराब )जैसे व्यसनों को धारण कर रहे हैं।
समाज में व्याप्त बुराईयों और व्यसनरूपी विष को समाप्त करने में भूमिका निभानाओ यही सच्ची शिवभक्ति है
महाशिवरात्रि पर काँवर लाने का सन्देश और दर्शन है
कि जब हम पवित्र भावनाओं से और पूरी निष्ठा से कोई पुरुषार्थ करते हैं, तो हमारी मनोकामनाओं की पूर्ति अवश्य होती है।सैकड़ों कि.मी काँवर लाना हमे
पुरुषार्थ को प्रेरित करता है।
लेकिन हम सब काँवर को उसके लक्ष्य तक पहुँचाने के साथ ही पुरुषार्थ का त्याग कर देते हैं।यदि पुरुषार्थ मरता है तो हम समस्याओं से घिर जाते है फिर हमारी मदद शिव भी नही कर सकते अतः पुरुषार्थ और सद संकल्प को जीवित रखना ही सच्ची शिवभक्ति है।
महाशिवरात्रि पर हम दूध और कई तरह के फल और पत्तियों से शिवजी का अभिषेक कर उनकी उपासना करते हैँ और उन्हेँ प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं लेकिन देवत्व और मानवता की रक्षा के लिए विषपान करने वाले शिव को उनका अभिषेक कितना प्रसन्न करता होगा ये विचार अवश्य करें ।यदि हम सच्चे शिवभक्त हैं तो हमें अपने संसाधनों को मानवता के अभिषेक के लिए ख़र्च करना होगा।
शिव पर्व और शिव संकल्प की आप सबको बधाई