
पश्चिमी यूपी के बृजखंड के अंतर्गत आनेवाले मैनपुरी जिले में “नगवा” गोत्र के यदुवंशी अहीर क्षत्रियों की भारौल रियासत हुआ करती थी। भारोल अब फिरोजाबाद जनपद का हिस्सा है। फिरोजाबाद जिला बनने से पूर्व यह मैनपुरी का भाग हुआ करता था।
इस अहीर राजघराने का खानदानी सिलसिला पश्चिमी राजस्थान के जिला जोधपुर और जैसलमेर के बीच स्थित नागौर जिले से शुरू होता है।
नागौर के समीप इस राजवंशी गोत्र के पूर्वजों का राजपाठ था। नागौर जिले के नामपर ही इनका गोत्र पहले “नागौरा” कहलाया।
नागौर से विस्थापित हो इस अहीर राजवंश ने भारोल में एक स्वतंत्र और बड़ी जागीर की स्थापना की।
पूरे आगरा प्रांत में इस घराने की विशेष प्रतिष्ठा रही है।
इनकी जमींदारी की सीमा मैनपुरी से लेकर आगरा तक फैली थी तथा इन्होंने अपने शासन के दौरान यहां कई हवेलियों, मंदिरों, सरोवरों आदि का निर्माण करवाया था।
हालांकि वर्तमान समय में गढ़ी और हवेलियां रखरखाव के अभाव में खंडहर सी हो रही हैं।
इस घराने का अपना एक अलग राजचिन्ह एवं ध्वज भी हुआ करता था।
यहां लोकल भाषा में इस गोत्र का नाम “नागौरा” से बिगड़कर “नगवा” कहलाया।
इसी राजघराने से कुंवर साहिब महाराज सिंह जी और स्वर्गीय चौधरी साहब कामता सिंह जी ने अन्य अहीर ज़मीदारों की तरह शिकोहाबाद के विख्यात “अहीर कॉलेज” वर्तमान आदर्श कृष्ण कॉलेज (AK College Shikohabad) के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।