
संत तुलसीदास की जन्मस्थली को लेकर कोई भ्रम न फैलाया जाय। प्रो. योगेन्द्र मिश्र।
सोरों शूकर क्षेत्र जनपद कासगंज के निवासी अध्येता प्रोफेसर योगेन्द्र मिश्र , सदस्य हिंदी सलाहकार समिति ,नागर विमानन मंत्रालय , भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए एक पत्र में , इस बात पर अपना रोष व्यक्त किया कि प्रदेश सरकार रामचरित मानस कार गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली के संबंध में एक भ्रामक स्थिति पैदा कर रही है जिससे क्षेत्र के तुलसी साहित्य व जीवन के संबंध में विद्वानों में एक रोष की स्थिति पैदा हो रही है । उन्होंने फोन पर इस संवाददाता को बताया कि गोरखपुर की एक प्रेस ने किसी दवाब के वशीभूत होकर गत पचास वर्षों में गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली को जान बूझ कर राजापुर की तरफ ध्यान दिलाया है जो सर्वथा मिथ्या है इस पर भी उ.प्र.के पर्यटन मंत्री द्वारा राजा पुर (चित्रकूट) को तुलसी जन्म भूमि बताकर अधिकारिक घोषणा करते हुए 21करोड की धनराशि जन्मभूमि के विकास के वास्ते दी है उन्होंने बताया कि उनके पास व क्षेत्रीय विद्वानों के पास तथा सोरों शूकर क्षेत्र में संत तुलसीदास की जन्मस्थली के संबंध में अकाट्य प्रमाण मौजूद हैं अतः बावजूद इन प्रमाणों के कोई प्रदेश सरकार संविधान का उलंघन करते हुए किसी महापुरुष के जन्म स्थली को लेकर कोई निर्णय कैसे ले सकती है , सोरों शूकर क्षेत्र , पौराणिक , ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी है जहां कण कण में गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म से संबंधित प्रमाण भी मौजूद हैं और उनके वंशज आज भी सोरों में मौजूद हैं सभी गजेटियर सोरों को ही तुलसी जन्म स्थली मानते हैं । उन्होंने कहा कि इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार के द्वारा लिए गए निर्णय को तत्काल रोके जाने की आवश्यकता है। जिससे तुलसीदास जी के संबंध में भ्रामक स्थिति पैदा नहोने पावे। साथ ही उन्होंने साध्वी रत्नावली राजकीय महिला विश्वविद्यालय और गोस्वामी तुलसीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने का अनुरोध भी किया।