हम दिल पर उन हाथों से तुरपाई लेकर लौट गये

साजन सँग जो आये थे शहनाई लेकर लौट गये
देने वाले के मन मे जो आई लेकर लौट गये ।

उसको सूनी आँख न भाई आँसूं की नदियाँ दे दी
हम तेरी बिछड़न की ये भरपाई लेकर लौट गये ।

तेरी खुशियां माँगी हमने अपनी चिन्ता कहाँ हमें
अपने क़दमों में अपनी परछाई लेकर लौट गये ।

वो शबाब और हुश्न के आगे क्या लेते और क्यूँ लेते
मद छलकाती आँखे थी अंगड़ाई लेकर लौट गये ।

हमको वो पीनी थी जिसका नशा उम्र भर ना उतरे
उसने आँखों से जितनी छलकाई लेकर लौट गये ।

फ़टे हुए रिश्तों के चिथड़े उसने अपने पास रखे
हम दिल पर उन हाथों से तुरपाई लेकर लौट गये ।

रोती और बिलखती यादें लेकर ‘सागर’ क्या करते
सूने मन मे हम अपनी तन्हाई लेकर लौट गये ।

🖋️ कवयित्री
वीणा शर्मा ‘सागर’ #post #fbpost #Gazals #poetry

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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