जालसाजों ने कोरोना को धंधा बनाया
शहर में बिक रही कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट

#Etah…

जालसाजों ने कोरोना को धंधा बनाया
शहर में बिक रही कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट
जालसाज आवश्यकता के अनुसार दो हजार से 10 हजार के मध्य कोरोना जांच में निगेटिव पाये जाने की फर्जी रिपोर्ट व्यक्ति को उपलब्ध करा रहे हैं। खास बात यह कि निजी चिकित्सालय के नाम पर दी जानेवाली ये रिपोर्ट सरकारी संस्थानों के नाम पर जारी की जा रही हैं।
ऐसा ही एक मामला शनिवार को उस समय सामने आया जब करीब 2 माह पूर्व पागल कुत्ते के काटने का शिकार बने एक व्यक्ति की शुक्रवार शाम मौत होने पर शनिवार को उसके परिजन उसका अन्त्यपरीक्षण कराने एटा के अन्त्यपरीक्षण गृह लाये।
पिलुआ थानाक्षेत्र के गढ़वाला निवासी 45 वर्षीय मृतक नेमसिंह पुत्र प्रानसुख के बारे में उसके परिजन भगवानसिंह का कहना था कि उसे करीब 2 माह पूर्व एक कुत्ते ने काटा था। इसके बाद उसका इलाज एटा के आगरा रोड स्थित आरके नर्सिग होम पर कराया गया। शुक्रवार शाम उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे अलीगढ़ रेफर किया गया। किन्तु रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गयी। मृतक की केस हिस्ट्री सुन अन्त्यपरीक्षण गृह के कर्मियों को उसके कोरोना संक्रमित होने की आशंका हुई तो परिजनों ने उन्हें अवागढ़ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का एक पर्चा थमा दिया। इस पर्चे में मृतक की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव दर्शाई गयी थी।
अन्त्यपरीक्षण गृह कर्मी ने जिज्ञासावश जब यह पूछा कि क्या इसे अवागढ़ भी ले गये थे? तो परिजनों का जवाब था कि नहीं। यह रिपोर्ट उन्हें एटा के ही आगरा रोड स्थित निजी चिकित्सालय आरके हास्पीटल से दी गयी है।
यह सुनकर जब इस रिपोर्ट की सत्यता की जानकारी अवागढ़ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के इंचार्ज मेडीकल आफीसर से की गयी तो उन्होंने ऐसी किसी भी रिपोर्ट के दिये जाने से स्पष्ट इंकार कर दिया।
मामले की जानकारी जब इंचार्ज मेडीकल आफीसर डा. सत्यप्रकाश राठौर से इस विषय में बात की तो उनका कहना था कि शुक्रवार को उनके यहां 10900 क्रमांक के पर्चे चले हैं। जबकि कथित रिपोर्ट का पर्चा 10285 नंबर का है। उन्होंने आशंका जताई कि संभवतः किसी कर्मी द्वारा अवागढ़ पीएचसी के पर्चो का दुरूपयोग कर यह फर्जी रिपोर्ट बनाई है।
कोरोना संक्रमण के इस काल में इस प्रकार एक पीएचसी के पर्चों का दुरूपयोग कर फर्जी रिपोर्ट तैयार करना कितना घातक हो सकता है, इसे ध्यान में रख जब मामले की सीएमओ डा. अरविन्द गर्ग से बात की तो उनका कहना था कि वे मामले की जांच करा रहे हैं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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