
महराजगंज। इस पर्व काल में गोपाष्टमी हमें गोवंश के प्रति आस्था व्यक्त करने के साथ उनकी सेवा और संरक्षण के लिए प्रेरित करता है। गोसेवा का अप्रतिम उदाहरण है उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के मधवलिया गांव में स्थित गोशाला जो आत्मनिर्भरता के साथ पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य की पूर्ति से अन्य गोप्रेमियों को भी प्रेरित कर रही है।
पांच सौ एकड़ में फैली गोसदन नाम की यह गोशाला बिजली, कंडा व जैविक खाद बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जलवायु अनुरूप जीवन के लाइफ मंत्र को भी साकार कर रही है। साथ ही, रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
मधवलिया गोसदन तकनीकी सुविधाओं से सुसज्जित और खुद की बिजली से रोशन है। ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर गोशाला में 30 केवीए विद्युत उत्पादन क्षमता का गोबर गैस प्लांट लगा है, जो 35 क्विंटल गोबर की खपत कर यहां बिजली की जरूरतें पूरी करता है।
प्लांट की देखरेख के लिए कर्मचारी तैनात
50 लाख की लागत वाले प्लांट की देखरेख के लिए जल निगम का कर्मचारी भी तैनात है। बिजली का यह प्लांट फरवरी 2024 में गोसदन को सौंप दिया जाएगा, जिसके बाद इसकी क्षमता वृद्धि कर आसपास के गांवों में आपूर्ति की जाएगी। सुपरवाइजर रामू यादव बताते हैं कि गायों को खाने के लिए छह एकड़ में हरा चारा बोया गया है। गायों की देखभाल के लिए 22 गो सेवक तैनात हैं।
*मशीन से बन रहा कंडा, महिलाओं को मिला रोजगार*
बिजली बनाने के लिए उपयोग हुए गोबर बेकार न जाए, इसके लिए कंडा बनाने की मशीन लगाई गई है। इसकी जिम्मेदारी दुर्गा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 12 महिलाओं को सौंपी गई है।
समूह की अध्यक्ष नम्रता देवी, सचिव मंजू बताती हैं कि मशीन लगने के बाद काफी तेजी से कंडा बन रहा है। अभी आस-पास के गांवों में इसकी खपत है। मांग बढऩे पर बड़े शहरों में भी भेजा जाएगा। कंडे की बिक्री से समूह की प्रत्येक महिला को निश्चित धनराशि मिलती है।
*गोसदन में बने जैविक खाद से फैली हरियाली*
विकास स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं यहां के वर्मी कंपोस्ट यूनिट में प्रतिवर्ष दो टन जैविक खाद का उत्पादन कर रही हैं। अध्यक्ष नीतू, सचिव दुर्गावती के नेतृत्व में समूह की 12 महिलाएं इस काम में लगी हैं।
सिसवा, फरेंदा, परतावल, घुघली के साथ ही पड़ोसी जनपद कुशीनगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया व बस्ती के किसान भी यहां से खाद ले जाते हैं। सात रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाली जैविक खाद से महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधरी है, वहीं गोसदन को भी आय हो रही है।
*गोबर से बिजली उत्पादन के चलते गोसदन ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है। जैविक खाद व कंडा निर्माण से आस-पास की महिलाओं को रोजगार मिला है। महिलाएं गोसदन से जुड़ कर आर्थिक उन्नति कर रहीं हैं। भविष्य में गोसदन में गोवंश की संख्या बढ़ा कर इसे और समृद्ध बनाया जाएगा।*
-अनुनय झा, जिलाधिकारी, महराजगंज।
*अमृत सरोवर व अमृत वन बढ़ा रहे गोसदन की शोभा*
गोसदन मधवलिया को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना प्रशासन बना रहा है। इसी कड़ी में अमृत सरोवर व अमृत वन बनाए गए हैं। अमृत वन में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे लगाए गए हैं। जहां सुबह शाम आस पास के ग्रामीण आकर टहलते हैं।