अपर निदेशक स्वास्थ्य अलीगढ़ ने जांच में लीपापोती की तो शिकायत करता हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे

*कहाँ से आई सीएमओ एटा उमेश त्रिपाठी के पास करोड़ों की सम्पत्ति।*
*दूसरे प्रदेशों में भी करोड़ों की कोठी प्लॉट।*

*यदि अपर निदेशक स्वास्थ्य अलीगढ़ ने जांच में लीपापोती की तो शिकायत करता हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे।*
एटा। “भष्ट्राचार के प्रति यशस्वी योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस की नीति का एटा सीएमओ उमेश कुमार त्रिपाठी कितनी ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं,इसका जीता जागता उदाहरण है, उनके द्वारा उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में खरीदी गई सम्पत्तियां। जिसमें ग्वालियर मध्य प्रदेश में समर्थ नगर निकट गोला मंदिर में करोडों की कोठी और प्लॉटआखिर ये सम्पत्ति के लिए धन किस मद से दिया गया।95 लाख रुपए की कीमत से अमापुर जनपद कासगंज में ख़रीदा गया बाग जो मैन रोड पर स्थित है,इतनी भारी रकम भी कहा से अर्जित की गई।और आगरा के शास्त्री पुरम में कोठी न0ए184 करोडों रुपए की शानदार बंगला नुमा कोठी के अलावा कई अन्य सम्पत्तियों की तलाश जारी है।जल्दी ही उन सम्पत्तियों की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। इसके अलावा एटा में सीएमओ के पद पर विराजमान उमेश त्रिपाठी ने सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए सारी खरीददारी अपने बेटे और अपने चहेतों की फर्मो से खरीदकर लाखों रुपए का घोटाला किया है,अपने बेटों को एमबीबीएस, एमडी,कराना,आगरा में ही दो फेक्ट्री,स्थापित,साथ ही जनपद में अवैध रूप से चलने वाले नर्सिंग होम, क्लिनिक,पैथोलॉजी, अल्ट्रासाउंड सेंटरों से अवैध उगाही कर तमाम मरीजों की जान लेने वाले इन अवैध क्लिनिक,हॉस्पिटलों,को खुला संरक्षण।जिसकी जांच मा0 मुख्यमंत्री मा9उपमुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर निदेशक अलीगढ़ मंडल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा टीम बना कर की जा रही है। *यदि अपर निदेशक स्वास्थ्य बिभाग अलीगढ़ ने सीएमओ एटा के खिलाफ घोटालों की जांच ईमानदारी से नहीं की और लीपापोती की तो शिकायत करता हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाकर पार्टी बनाकर अपर निदेशक स्वास्थ्य अलीगढ़ को भी कटघरे में खड़ा करने से नहीं चूकेंगे।* सीएमओ एटा लाखों रुपये के घोटाले में लिप्त तत्कालीन सीएचसी अलीगंज के अधीक्षक डॉ0रंजीत सिंह को भी बचाये हुए हैं।जबकि डॉ0रंजीत सिंह के द्वारा किए गए घिटालो कि जांच कैग द्वारा की गई और दोष सिद्ध हुआ,जिसकी सरकार द्वारा रिकवरी भी जारी की गई परन्तु आज तक इस घोटाले की रिपोर्ट पंजिकृत कराकर सरकारी धन की बसूली नहीं की गई है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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