
एटा,आज 14 नवंबर नेहरू जी की जयंती को बाल दिवस के नाम से स्थापित करके बच्चों को यह दिन तोहफे के रूप मे यादगार बना दिया गया है लेकिन इस दिवस को भी हमने कैस कर लिया बचपन की तबाही तब भी बाल मजदूरी के रूप में देखने को मिल रही थी और आज भी-–
कैसे कह दूं हैप्पी बाल दिवस मासूमों को
मैंने उनके हाथ झूठन से सने और भूंख को तड़पते देखा है?
उंगलियों मे चिपकी हजारों की झूठन को चाट कर अपनी भूंख को बहलाते देखा है?
नंगे पांवों से चलकर नन्हे पांव टूटे कांच नुकीले पत्थरों और शूलों को लहूं चूसते देखा है?
कूड़े के ढेर से अंग भंग खिलौनो को उठाकर अपने मासूम बचपन को बहलाते देखा है?
नाज़ुक कंधों पर रद्दी का बड़ा भार टूटी कलमों के टुकड़ों को बटोरते देखा है?
हाथ की अधबनी रेखाऔं को अमीरों की सोच के हथियारों से खोदकर लहू लुहान करते देखा है?
अमीरों की दुनियां में हमने मुखौटों में सौदागरों को
गरीबों का अधिकार लूटते देखा है?
कानून की अंधी देवी और राजनीति की गोल्डन कुर्सी को गरीबों के अधिकारों से फलते फूलते देखा है?
झूंठ है तो क्यों नहीं बदला ये चलन मुद्दतों पुराना
ये मासूम हाथ कानून और राजनीति की झूठन से भी
हमने सनते देखा है?
मासूम कलियों का बाजार सदियों से गुलजार रहा अजन्मे अरमान और महंक को हमने तूफानों की कैद में देखा है?
पीली लगाम नाक में पहना कर हमनें पुरूषार्थ की बिगड़ैल जिश्मानी भूंख को शांति करते देखा है?
बढ़ती आवादियों में हमने ईश्वर और अल्लाह का बीज कह कर खुदा को गरीब आदमी को ईश्वर अल्लाह कहते देखा है?
निवाले सोच की गोदामो में सड़ते इंसान को भूखा तड़पते देखा है?
शुर्खियां अखबारों की सान बनी गरीबों की पंजरो में सांसों को कांपते देखा है?
बेलगाम घोड़ों पर सामान गरीबों की परिचय लगी तख्तियां रखकर रास्ते में फेंक कर अमीरों के परिचय पर उतरते देखा है?
कैसे कह दूं हैप्पी बाल दिवस हमने बचपन को आज भी बाल मजदूरी करते देखा है?
लेखिका, पत्रकार, दीप्ति चौहान।