संयुक्त परिवार के प्रणेता और माडीपुर के चित्रांशो के ह्रदय सम्राट को विनम्र श्रद्धांजलि।
सभा में मुख्य अतिथि के रुप में भाजपा के पूर्व मंत्री श्री० सुरेश शर्मा जी उपस्थित रहे।
हाजीपुर

मिठनपुरा ,बेला रोड ,नागेन्द्र नगर लें 3 में स्थित प्रभाषचन्द्र
नारायण सिन्हा- मधुरिमा सिन्हा के’ सुमधुरम ‘ परिसर में उनके पिता,एवं माडीपुर –
चित्रांशो के ह्रदय सम्राट स्मृति
शेष शरतचन्द्र नारायण सिन्हा
जी की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश
उपाध्यक्ष रवींद्र कुमार रतन
की अध्यक्षता में हुई ।जबकि
प्रभाष चन्द्र नारायण सिन्हा ने संचालन किया।सभा में मुख्य अतिथि के रुप में भाजपा के पूर्व मंत्री श्री सुरेश
शर्मा जी उपस्थित थे।
सर्व प्रथम मुख्य अतिथि ने
पुष्पान्जालि की ,फिर बारी- बारी से सबने पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धा निवेदितकी।
संचालन कर रहे प्रभाष जी ने कहा कि भगवान को तो हमने देखा नही,पर पिता जी को तो देखा हूं।उनमे ही हमने भगवान को देखा है ,वे ही मेरे लिए भगवान है।
कई वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हे समाज को दिशा दिखाने बाला मार्ग दर्शक बताया।
मुख्य अतिथि और वक्ता के रुप में उपस्थित बिहारसरकार में भाजपा के पूर्वमंत्रश्री सुरेश शर्मा जी ने अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए 0उन्हे समाज का सच्चा संरक्षक और युवाओं का ह्रदय -सम्राट बताया।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य मे
रविन्द्र कुमार रतन ने कहा।
‘ करनी देखल जाईअ,
मरनी के समय ‘ सारे सगे-
सम्बन्धी,इष्ट- मित्र,समाज और परोस के इस विशाल उपस्थिति ही कह रही है उनकी मिलनसारिता और सज्जन्ता की कहानी।
आज के युग में जब संयुक्त परिवार की परिकल्पना समाप्त प्राय है वे इसके प्रणेता थे। सबको उन्होने
किया है,किसी से कराया नही है। 6 भाईयों मे सबसे बड़े होने के कारण उन्होंने सबको इतना प्यार दिया
कि बड़े,बड़े पदों पर आसीन अनुजों ने कभी उंची आवाज मे बात नही की।आज माडी पुर का ‘ रामकृष्ण निलियम’
फफक-फफक कर रो रहा है
हम मांग करते हैं कि उस भवन को उनकी याद में स्मृति दभवन कर बगैर लाभ-हानी के गरीबों के शादी -व्याह के लायक बनकर समाज के सार्वजनिक कार्योंका स्मारक कर दे।’ ‘ ‘रामकृष्णनिलिअम,शरत, संग्राहलय ‘ या यथोचित नामकरण,आपसी राय विचार से हो।
सभा मे मुख्य रुप से उनके अनुज शिव चन्द्र नारायण सिन्हा,सुभाष चन्द्र,सतीस चन्द्र,राजकिशोर सिन्हा, नुपुर-भुवन,नूतन,निनी
राजू,सन्ज्जू,मनोज, दामुचक के मुनीशवर प्रसाद ,विनोद, सुबोध,वीणा,रवि-अभिलाषा,मुकंद-शोभा, बसंत, छोटन- आभा ,संतु , सारोज वाला
सहाय,राजेन्द्र कुमार रज्जन कविता-प्रकाश जी,मयंक के अलाबे बहुत से इष्ट-मित्र , सगे-सम्ब्धी सब उपस्थित हो अपने विचार रखे और पुष्प अर्पित किए।
सबसे छोटे भाई सतीस जी
(कन्हइआ जी)ने आगत अतिथियो के प्रति आने और श्रद्धांजलि सभा में शामिल
होनेको आभार प्रकट किया आऊर सबों से आग्रह किया कि श्रद्धा युक्त प्रसाद का पारण कर ही कोई प्रस्थान
करंगे।