
वैसे तो स्वास्थ विभाग अपने कारनामो के कारण आये दिन सुर्खियों में रहता है नया प्रकरण इस प्रकार है *ग्राम कौड़ा निवासी अनुराग सिंह* पुत्र अरुण सिंह के पेट मे अचानक रात्रि के दो बजे पेट में दर्द शुरू होता है बेटे को उपचार हेतु अरुण सिंह अपनी गाड़ी से जिला अस्पताल हरदोई पहुचते है संबंधित डॉक्टर समस्या पूंछकर स्वीपर रामसागर को आदेश देते है कि Tramadol+ Aciloc इंजेक्शन मरीज़ अनुराग सिंह लगा दो लेकिन किये गए उपचार के बाद भी आधा घंटा इंतजार के बाद भी दर्द बंद नहीं होती है तत्पश्चात डाक्टर साहब एक पर्ची पर बाहर के मेडिकल स्टोर से दो इंजेक्शन लाने के लिए कहते है रात्रि के 2.30 बजे कोई मेडिकल खुला न होने के कारण नहीं मिलता है पीड़ित अनुराग सिंह के पिता जी अरुण सिंह वापस आकर डॉक्टर को बताते है कि इंजेक्शन नही मिला मेडिकल स्टोर सब बंद है डाक्टर का जवाब था फिर कोई विकल्प नहीं है चुकी अरुण सिंह एक संभ्रांत ब्यक्ति है इस कारण रानी कटियारी नर्सिंग होम जिसने रात्रि में इंजेक्शन उपलब्ध कराया *बड़ा सवाल* बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार किस आधार पर दावा कर रही है कि वह कोरोना के खिलाफ जंग जीत लेगा जब की सरकारी अस्पताल में पेट दर्द की दवा तक उपलब्ध नही है।यह प्रकरण स्वास्थ विभाग की पोल खोलता है। अगर अरुण सिंह की जगह कोई गरीब होता तो शायद आज उसका बच्चा दवा के अभाव में मर गया होता तो इसका जिम्मेदार कौन होता हरदोई का स्वास्थ्य विभाग या सरकार यह बड़ा सवाल है