
केंद्र सरकार के नियंत्रण वाली नेशनल मेडिकल काउंसिल ने तमिलनाडु में नये मेडिकल कॉलेज खोलने पर यह कहकर रोक लगा दी है कि जनसंख्या के अनुपात में तमिलनाडु में डॉक्टर आवश्यकता से अधिक हो गए हैं। यही तर्क तेलंगाना पर भी लागू होता है पर वहां चुनाव को देखते हुए ऐसी रोक संभवतः बाद में लगाई जाएगी।
मेडिकल कॉलेज अधिक होंगे तो निजी कॉलेज वाले पूंजीपतियों को शुल्क कम करना पडेगा। डॉक्टर अधिक होंगे तो निजी अस्पतालों नर्सिंग होम को भी दर कम करनी होगी। मुनाफा घट जाएगा। आपूर्ति को सीमित करना जरूरी है।
निजी कॉलेजो अस्पताल मालिक पूंजीपतियों व डॉक्टर कारोबारियों के मुनाफे के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों तथा अस्पतालों की आपूर्ति को सीमित रखने की नीति इंदिरा गांधी ने शुरू की थी, मोदी सरकार उसी नीति को आगे बढा रही है।
मुनाफा आधारित पूंजीवाद ऐसे ही काम करता है। एक ओर सामाजिक आवश्यकता पूरी नहीं होती, दूसरी ओर पूंजीपति अति उत्पादन से मुनाफा कम होने की शिकायत करने लगते हैं। उत्पादक शक्तियों के विकास में पूंजीवाद बाधा बन जाता है। अधिकांश जनता को अच्छे डॉक्टर उपलब्ध नहीं। जो हैं उनकी फीस बहुत ऊंची हो गई है। उधर सरकार डॉक्टरों की संख्या अधिक बता कर नये डॉक्टरों की संख्या सीमित कर रही है।