*कोरोना रोगियों के इलाज में सेल थेरेपी कारगर, रिपोर्ट योगेश मुदगल

कोविड-19 रोगियों के इलाज में सेल थेरेपी अपनाने से मौत के जोखिम को 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। एक शोध में इसका खुलासा हुआ है। इसमें सेल थेरेपी के 195 परीक्षणों को शामिल किया गया। परीक्षण जनवरी 2020 और दिसंबर 2021 के बीच 30 देशों में आयोजित किए गए। साथ ही जुलाई 2022 तक प्रकाशित परिणामों के साथ 26 परीक्षण भी किए गए।
जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका में सहयोगियों के साथ साझेदारी में ब्राजील में साओ पाउलो विश्वविद्यालय (यूएसपी) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन का निष्कर्ष जर्नल फ्रंटियर्स इन इम्यूनोलॉजी में रिपोर्ट दिए गए थे। यूएसपी मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर ओटावियो कैब्रल-मार्क्स ने कहा, हमारा अध्ययन दुनियाभर में बिखरे हुए अनुभवों पर सभी जानकारी की समीक्षा करने और विश्लेषण के माध्यम से सत्यापित करने वाला पहला शोध है। इसमें यह भी बताया गया है कि सेल थेरेपी कैसे काम करती है, जब कोविड-19 और संबंधित जटिलताओं के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है। सेल थेरेपी में रोगी (ऑटोलॉगस) या दाता (एलोजेनिक) की स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है। बदलाव करने से पहले कोशिकाओं को प्रयोगशाला में संशोधित किया जाता है। शोध के अनुसार इस अवधि में कोविड-19 के उपचार परीक्षणों में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली कोशिका संयोजी ऊतक से बहुशक्तिशाली मेसेनकाइमल स्टेम (स्ट्रोमल) कोशिकाएं थीं।
गंभीर संक्रमण के लिए जिम्मेदार जीन का पता लगाया
इटली में हुए एक अन्य अध्ययन में कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के लिए जिम्मेदार जीन का पता लगाया है। इसमें पाया कि तीन खास तरह के जीन सीसीऐर9, सीएक्ससीआर 6 और एलजेडटीएफएल1 जीन जिन लोगों में थे उनके गंभीर रूप से संक्रमित होने की संख्या अन्य लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा थी। गहराई से पड़ताल करने पर यह भी पाया गया कि ये जीन पुरातन मानव प्रजाति निएंडरथॉल से वंशानुगत तरीके से आज के मानवों में पहुंची है।