
पांच अगस्त को लेकर पूरी दुनिया की नजर है भारत पर: राजू आर्य
राममंदिर भूमि पूजन के दिन देशभर में दीपावली मनाने की तैयारी
पूर्व सीएम कल्याण सिंह की राम मंदिर बनवाने में रही अहम भूमिका
एटा। राष्ट्रीय दलित पिछड़ा वर्ग (उ.प्र.) के प्रदेश अध्यक्ष युवा, भारतीय गौ रक्षा वाहिन उ.प्र. के बृज क्षेत्र के अध्यक्ष, कट्टर विश्व हिन्दू परिषद नेता रंजीत कुमार उर्फ राजू आर्य ने कहा कि पांच सौ वर्षों के लम्बे इंतजार के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अयोध्या में करोड़ो हिन्दुआंे के आदर्श एवं पूज्यनीय श्री राम मंदिर के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम होने जा रहा है, तो इस मौके पर उन साधु-संतों, विश्व हिन्दू परिषद के लोगों और राजनीतिज्ञों को कैसे भुलाया जा सकता है जिन्होंने मंदिर निर्माण के लिए लम्बा संघर्ष किया था।
श्री आर्य ने कहा कि पांच अगस्त को दोपहर 11ः30 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के लिए भूमि पूजन अनुष्ठान करेंगे तो उसी दिन रात्रि को पूरी दुनिया में फैले राम भक्त दीपावली से पूर्व ही घर-घर दीप प्रज्ज्वलित करके खुशियां मनाएंगे। विश्व हिन्दू परिषद इस दिन प्रत्येक हिंदू परिवार को गौरवमयी अवसर से जोड़ने के लिए वृहद दीपोत्सव अभियान चला रहा है। शहर हो या गांव घर-घर, दीपोत्सव मनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि पर भूमि पूजन अनुष्ठान के समन्वयक-संयोजक आचार्य इंद्रदेव शास्त्री के अनुसार भूमि पूजन कार्यक्रम पहली अगस्त से शुरू हो जायेगा। पहले दिन गणपति पूजन एवं पंचांग पूजन के साथ अनुष्ठान की शुरुआत होगी। साथ ही वाल्मीकि रामायण एवं कई अन्य शास्त्रीय ग्रंथों का पाठ शुरू होगा। दूसरे दिन पाठ की निरंतरता के साथ रामार्चा पूजन और प्रवचन का क्रम संयोजित होगा, जबकि पांच अगस्त को शास्त्रानुकूल भूमि पूजन का पारंपरिक अनुष्ठान होगा। इसे 10 से 15 वैदिक आचार्य संपादित कराएंगे। इनमें चुनिंदा स्थानीय के साथ दिल्ली एवं बनारस तक के विद्वान शामिल होंगे। वह हनुमानगढ़ी व रामजन्मभूमि में दर्शन-पूजन भी करेंगे। भूमि पूजन के कार्यक्रम में साधु-संतों समेत कुल 200 मेहमान शामिल होंगे।
श्री आर्य ने कहा कि प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के समय लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व सांसद और बजरंगी नेता विनय कटियार, साध्वी उमा भारती आदि सहित शिवसेना के नेताओं के भी अयोध्या पहुंचने की संभावना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के कई मंत्री भी इस मौके पर अयोध्या में नजर आ सकते हैं।
उधर, अयोध्या को सजाने-संवारने का काम तेज हो गया है। आर्य ने कहा कि 5 अगस्त का दिन देश के लिए यादगार दिन होगा, अयोध्या में केसरिया रेलिंग रंगी जा रही हैं, चारों ओर भगवा ही भगवा लहराएगा। आर्य ने कहा कि भगवान राम के जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह पहली रामनवमी है। इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। ऐसे में लाखों श्रद्धालु रामनवमी पर्व में शामिल होंगे। लेकिन, कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए रामनवमी पर भक्तों की अयोध्या में संख्या कैसे कम किया जाए, इसको लेकर प्रशासन व सरकार चिंतित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में ऐसे संकेत दिए कि रामनवमी पर्व का लाइव प्रसारण भी किया जा सकता है। इससे लोग अपने घरों से भी रामलला के दर्शन कर सकेंगे।
कल्याण सिंह सरकार के एक साल भी नहीं गुजरे थे कि 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था. जबकि उन्होंने सर्वाेच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे. इसके बावजूद 6 दिसंबर 1992 को वही प्रशासन जो मुलायम के दौर में कारसेवकों के साथ सख्ती बरता था, मूकदर्शक बन तमाशा देख रहा था।
सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस कर दी गई. इसके लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया था। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की बीजेपी सरकार को बर्खास्त कर दिया था। कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान, अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा मिली।
बाबरी मस्जिद ध्वंस की जांच के लिए बने लिब्राहन आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन योजनाबद्ध, सत्ता का दुरुपयोग, समर्थन के लिए युवाओं को आकर्षित करने, और आरएसएस का राज्य सरकार में सीधे दखल के लिए मुख्यमंत्री कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की. कल्याण सिंह सहित कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया है। बता दें कि 26 साल पहले अयोध्या में जो भी हुआ वो खुल्लम-खुल्ला हुआ। हजारों की तादाद में मौजूद कारसेवकों के हाथों हुआ, घटना के दौरान मंच पर मौजूद मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा और लालकृष्ण आडवाणी के सामने हुआ, इनसे मस्जिद को बचाने का रोकने का जिम्मा कल्याण सिंह पर था।
बीजेपी की आज जो भी सियासत हैं वह राम मंदिर आंदोलन की देन है, इसके लिए लालकृष्ण आडवाणी के साथ-साथ कल्याण सिंह की अहम भूमिका रही है. इसी अयोध्या की देन है कि आज नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं. लालकृष्ण आडवाणी ने जब सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली थी तो नरेंद्र मोदी उनके सारथी थे. इसके बाद 2002 में गोधरा में ट्रेन की जो बोगी जलाई गई उसमें मरने वाले भी वो कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे. इसके बाद गुजरात में दंगा हुआ और नरेंद्र मोदी का उभार हुआ।