संस्थागत प्रसव न होने की बजह से अपंजीकृत व घरेलू प्रसव हावी

संस्थागत प्रसव न होने की बजह से अपंजीकृत व घरेलू प्रसव हावी
एटा,
जिले में हो रहे अपंजीकृत और घरेलू प्रसव संस्थागत प्रसव बढ़ाने के गणित को बिगाड़ रहे हैं।
जबकि संस्थागत प्रसव केंद्र पर नर्सिंग होम पर सेटिंग्स की बजह से संस्थागत प्रसव कम होने लगे हैं, संस्थागत प्रसव पर आए दिन स्वास्थ्य अधिकारियों को जिला, मंडल स्तर पर अधिकारियों के कोप का भाजक बनना पड़ रहा है।
नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ. सुधीर मोहन ने बताया कि जून में 3031 संस्थागत प्रसव का लक्ष्य निर्धारित किया गया, जिसमें से जिले में 3096 प्रसव हुए हैं। इसमें से 1971 संस्थागत प्रसव हुए हैं जबकि 693 प्राइवेट नर्सिगहोम, मैटरनिटी होम में कराए गए हैं। साथ ही 231 अपंजीकृत और 201 घरेलू प्रसव कराए गए। इसी प्रकार जुलाई में संभावित प्रसव लक्ष्य 3445 निर्धारित किया गया। उसके सापेक्ष जिले में 3711 प्रसव कराए गए। उसमें संस्थागत प्रसव 2363, प्राइवेट अस्पतालों में 892, अपंजीकृत में 222 और घरेलू प्रसव 231 कराए गए हैं, नोडल अधिकारी का मानना है कि यदि अपंजीकृत और घरेलू प्रसव होना रुक जाये। उससे संस्थागत प्रसव बढ़ने की पूरी संभावना है, जिसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।

तीन में से दो फर्स्ट रेफरल यूनिट पर हो रहे ऑपरेशन एटा। नोडल अधिकारी ने बताया कि तीन फर्स्ट रेफरल यूनिट में से दो पर ही एनेस्थेटिक और सर्जन मौजूद। जहां गर्भवती के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जलेसर, एमसीएच विंग में ही ऑपरेशन करने की सुविधा है। जहां पर प्रतिमाह आठ से दस गर्भवती के ऑपरेशन करने का कार्य किया जा रहा है। अलीगंज में स्त्रत्त्ी-प्रसूति रोग चिकित्सक न होने से ऑपरशेन नहीं हो पा रहे हैं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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