कविताओं के माध्यम से छात्राओं ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग अभियान की किया व्याख्या।
वाराणसी

तुलसी देवी करुणापति स्मारक बालिका इण्टर कालेज प्रयागराज में उत्साह और उमंग से छात्र- छात्राओं ने देखा चन्द्रयान 3 की लैंडिंग।
रोक सकता कौन उसको
जिस नदी में धार हो
डूबता मांझी कहां जब
हाथ में पतवार हो।
जी हां, बिल्कुल सही कहा गया है कि जहां चाह।
वहां राह हमारे भारत देश के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग करा कर के इसी बात को सच साबित किया है। वैज्ञानिकों के इसी चमत्कार को छात्र-छात्राओं ने अचरज भरी निगाहों से एक अजूबे को सच साबित होते हुए देखा। जिस चांद को बच्चे
चंदा मामा दूर के पुये पकावें खीर के।
आप खायें थाली में मुन्ना को दे प्याली में।
प्याली गई टूट मुन्ना गया रूठ अथवा राष्ट्रकवि रामधारीे़सिंह दिनकर का यह बाल गीत
हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला।
सिलवा दो मां मुझे एक तुम मोटा एक झिंगोला।
कह कर गीत गाते नहीं थकते थे उसी चांद पर चन्द्रयान -3 की लैंडिंग होते हुए देखकर आश्चर्य चकित थे। बच्चों ने देखा किस तरह चंद्रमा भी धरती की तरह ठोस सतह है और वैज्ञानिक वहां पर भी पानी और हवा की खोज कर रहे हैं। ऐसा लगा जैसे सीमा गुप्ता’ के स्वर में बच्चे स्वर मिला कर कह रहे हैं।
आज धरा ने राखी भेजी चंद्रयान के हाथ।
है प्रसन्न अति चंदा मामा लगा लिया सिर माथ।
भारत के लालों ने खोलें नव विकास के द्वार।
भाई चंदा बहन धरा का रहे सदा सुचि साथ।
देश के नवनिहालों को तो अब चंदा मामा दूर के नहीं बल्कि चंदा मामा टूर के लगने लगे।
चंद्रयान-3 की सफलता को देखकर तो साहित्यकार व पूर्व प्राचार्य शैलेंद्र कुमार मिश्र को ऐसा महसूस हुआ जैसे
हठ कर बैठा चन्द्रयान 3
अपने भारत देश से यह बोला
दम लूंगा चन्द्रमा पर जा के ही
भले ही आगे आए कितनी भी बाधा।
मन से काम को जिसने साधा
दूर हो जाती उसकी हर एक बाधा।
मिलती सफलता चूमती कदम भी
बिगड़ा काम हो चाहे कुछ आधा
जग में हो जाता है उसका नाम
बन जाता है सचमुच काम
अंतरिक्ष की इस अलौकिक घटना को देख कर बच्चे जहां एक ओर रोमांचित हो रहे थे। वहीं विज्ञान की इस सफलता को देखकर आश्चर्यचकित भी थे। कार्यक्रम में अध्यापक संदीप कुमार शुक्ल अरविंद एवं अध्यापिका आरती त्रिपाठी अपराजिता शिखा एवं कुमुद ने जहां छात्र -छात्राओं का अनुशासन बनाने और चन्द्रयान की अनंत विशेषताओं को बताया समझाया, वहीं प्रबंधतंत्र-सदस्य द्वय लोकगायिका डॉ शिवा मिश्रा एवं पूर्व प्राचार्य शैलेन्द्र कुमार मिश्र ने उपस्थित हो कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।