दुनिया के सबसे छोटे सीरियल किलर जिसने तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया

दुनिया के सबसे छोटे सीरियल किलर जिसने तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया*

नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसे OTT प्लेटफॉर्मों पर हमने ‘हैमर’ जैसी कई वेबसीरीज और फिल्में देखी हैं, जिनमें सीरियल किलर बड़ी बेरहमी से लोगों का कत्ल करते हैं। ये घटनाएँ रहस्यमय और भयानक होती हैं, लेकिन इन आत्माओं के पीछे अजीब और आश्चर्यजनक कारण होते हैं। उनके रचनात्मक योजनाओं और क्रूरताओं के पीछे अकेले नहीं बल्कि गहरे मानसिक तंत्रों की भी बात होती है*।

*अद्वितीय और भयंकर*
*क्या आपने कभी सोचा है* *कि एक सिर्फ 8 साल का बच्चा भी सीरियल किलर बन सकता है* ? जी हां, ऐसा ही कुछ वाकई हुआ। एक छोटे से गांव में जिसे अपने वयस्क जगह की खोज में थी, उसने अपनी ही बहन की जान लेने का शर्तनामा बदल दिया। यह भयानक घटना बिहार के अमरजीत सदा की है, जिन्होंने मात्र 8 साल की आयु में तीन लोगों को मौत के घातक झटके दिए। उनकी यह अद्वितीय और भयंकर कहानी दुनिया को विचलित कर देती है।

दुनिया का सबसे छोटा सीरियल किलर
अमरजीत सदा, बिहार के बेगूसराय के मुशहरी गांव के निवासी हैं। उन्हें दुनिया का सबसे छोटा सीरियल किलर कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने मात्र 8 साल की आयु में पुलिस के हवाले कर दिए थे। 1998 में हुई पहली घटना से लेकर 2007 में गिरफ्तारी तक, उन्होंने कई लोगों के प्राण लिए थे।

2007 में, एक गुमशुदा बच्ची की खोज में पुलिस ने मुशहरी गांव में कदम रखा। जब लापता बच्ची के माता-पिता ने अपनी संदेहावली निगाहों को अपने पड़ोसी, 8 साल के अमरजीत की ओर मुड़ाया, तो कुछ अजीब लगा। पहले तो वे यकीन नहीं कर पाए कि इस छोटे से बच्चे का कुछ करने का कोई मोतीव हो सकता है। लेकिन जैसे-जैसे पड़ताल में बढ़ाव हुआ, उन्होंने अमरजीत के बारे में सबकुछ जान लिया।

बच्चे की मनोबला
पुलिस ने अमरजीत सदा को गिरफ्तार किया, और जब उन्होंने पूछा कि बच्ची कहां है, तो उसने खुद को आवश्यकता से ज्यादा बड़ा बताते हुए कहा, “पहले बिस्किट दो, फिर बताऊंगा।” धीरे-धीरे, उसने सबकुछ खोल दिया और बताया कि उसने सबसे पहले अपनी बहन की मौत की योजना बनाई थी।

क्यों करता था कत्ल?
यह तो सच है कि इतनी कम उम्र में किसी बच्चे ने इतनी घटिया घटनाएँ कैसे कीं, यह सवाल बहुत ही स्वाभाविक है। अमरजीत के मानसिक स्वास्थ्य में खराबी की बात सामने आई, जिससे उन्होंने ‘कंडक्ट डिसऑर्डर’ की एक बीमारी का सामना किया। इस बीमारी में, व्यक्ति को दूसरों को दर्द पहुंचाने में आनंद मिलता है, जिसके चलते उन्होंने खुद को अनौपचारिक ‘मौत के कलाकार’ बनाया।

यह घटना वाकई ही सोचने पर मजबूर करने वाली है। हमें यह सिखने को मिलता है कि दिमागी स्वास्थ्य को हमेशा मानना चाहिए और इस पर संवेदनशीलता से काम करना चाहिए। आत्महत्या और अन्य घातक परिणामों से बचाव के लिए, हमें अपने समाज में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझना होगा।

इस आत्मा की काली कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्णता को हमेशा मानना चाहिए। हमारे समाज में इस दिशा में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि इस तरह की भयानक घटनाएँ रोकी जा सकें। रिपोर्ट आशीष तिवारी वरिष्ठ पत्रकार

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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