
यूपी और बिहार में नहाने योग्य तक नहीं गंगाजल
उत्तर प्रदेश में नालों की टैपिंग, कॉमन अपशिष्ट उपचार सयंत्र (सीईटीपी) और सीवेज शोधन सयंत्र (एसटीपी) निर्माण में देरी गंगा और इसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त नहीं होने दे रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में ओवरसाइट कमेटी की ओर से पेश एक रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार बिना किसी कारण के एसटीपी और सीईटीपी के निर्माण पूरा होने की तारीख भी बढ़ाई जा रही है। समिति ने एनजीटी से यूपी सराकर के शहरी विकास विभाग, जल शक्ति विभाग और यूपीपीसीबी को समुचित कार्रवाई करने का आदेश देने की सिफारिश की है। रिपोर्ट के अनुसार गंगा जल उत्तर प्रदेश, बिहार के बक्सर, पटना, भागलपुर, पश्चिम बंगाल के हवाड़ा-शिवपुर जैसे जगहों पर नहाने योग्य तक नहीं है।
यूपी में गंगा जल सी और डी श्रेणी में उत्तर प्रदेश में अधिकांश जगहों पर गंगा जल सी और डी श्रेणी में है। यही हाल इसकी सहायक नदियों गोमती, घाघरा, काली, हिंडन, राप्ती, वरुणा, रामगंगा, बाणगंगा व अन्य का है। इन नदियों का पीने योग्य नहीं है, यहां तक की कुछ जगहों को छोड़कार गंगा और इसके सहायक नदियों का पानी नहाने और जीवजन्तुओं के पीने लायक भी नहीं है।
नालों की टैपिंग का काम अधूरा उत्तर प्रदेश में 301 नाले गंगा और इसकी सहायाक नदियों में गिरते हैं। इनमें से अब तक सिर्फ 127 नालों/ड्रेन को टैप किया गया है। 147 बिना टैपिंग के है और इससे सीधे दूषित पानी नदियों में जा रहा है। रिपोर्ट में कहा है कि 27 नालों को टैप करने की जरूरत नहीं है। 74 नालों को जून 2025 टैप करने का लक्ष्य रखा है।
एसटीपी के निर्माण कार्यों में देरी यूपी में 927 एमजीडी क्षमता वाले 47 एसटीपी का निर्माण हो रहा है। काम धीरे होने के चलते यह समय से पूरा नहीं हो रहा है। इसमें कहा गया है कि कुछ जगहों पर अप्रैल, मई, जून 2023 में काम पूरा होना था, लेकिन यह लक्ष्य से पीछे है। कुछ एसटीपी का निर्माण 90 से 95 फीसदी तक हो गया है तो कुछ 30 से 40 फीसदी तक ही पूरे हुए हैं। गोरखपुर में एसटीपी का निर्माण का कार्य महज 2 फीसदी हुआ है और इसे पूरा करने का समय मार्च, 2025 तय किया गया है। सीईटीपी यानी उद्योगों से निकलने वाले कचरे को शोधन करने वाले सयंत्र के काम भी समय से पूरा नहीं हो रहा है।
सीपीसीबी की रिपोर्ट में गंगा जल दूषित सीपीसीबी द्वारा गंगा जल की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में लगाए गए 86 लाइव निगरानी केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार 78 जगहों पर गंगा जल दूषित है। इनमें बिहार के पटना, भुसौला (दानापुर के पास), बक्सर, भागलपुर, पश्चिम बंगाल में हावड़ा-शिवपुर जैसे जगहों पर गंगा का जल नहाने योग्य भी नहीं है।
कहीं नहीं मिला गंगा जल निर्मल
गंगा जल की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए वाराणसी, गाजीपुर, प्रयागराज, बदायूं, कन्नौज, सोनभद्र, मिर्जापुर, कानपुर, बिजनौर, हापुड़ सहित 31 जगहों पर नमूने लिए गए। कहीं भी गंगा जल ए श्रेणी यानी पूरी तरह निर्मल नहीं मिला। सिर्फ बदायूं के कछलाघाट में गंगाजल बी श्रेणी में मिला।
सुधार का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसवीएस राठौर की अगुवाई वाली ओवरसाइट समिति ने एनजीटी में अपनी रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा है कि उत्तर प्रदेश में गंगा और इसकी सहायक नदियों के पानी की गुणवत्ता में सुधार का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है।