अगर कोरोना ना आता तो आप तब्लीग़ी जमात की यह खूफिया खबर ना जान पाते, जरुरी बात जानें

: *अगर कोरोना ना आता तो आप तब्लीग़ी जमात की यह खूफिया खबर ना जान पाते, जरुरी बात जानें*

*Delhi:* आज तब भारत के अधिकतर लोगो ने तब्लीग़ी जमात का नाम तक नहीं सुना था, किन्तु अब लोग इस नाम को सुनते ही कम्प भी जाते हैं। तब्लीगी जमात का नाम अब हर घर पहुंच जाने के बाद भी उसके काम और उद्देश्य के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। जबकि तब्लीगी जमात करीब 100 साल से काम कर रहा है। तब्लीगी जमात का उद्देश्य है की मुसलमानों को पक्का मुसलमान बनाना है।

असल में यह जमात मुसलमानों के बीच सभी गैर-इस्लामी चीज छोड़ने का प्रचार करती है, मतलब खान-पान, जीवन जीने का तरीका, पहनावा, भाषा और यहाँ तक के सोच भी उनके मुताबिक़ होनी चाहिए। प्रसिद्ध जानकार मौलाना वहीदुद्दीन खान की लिखी पुस्तक ‘तब्लीगी मूवमेंट’ से इसकी प्रामाणिक जानकारी मिलती है।

इस तब्लीग़ी जमात के संस्थापक मौलाना इलियास को यह देखकर आघात होता था कि दिल्ली के आसपास के मुसलमान सदियों बाद भी बहुत चीजों में हिंदू तौर तरीके से जीते है। यहां तक कि अपना नाम भी हिंदुओं जैसे रखते थे। हिंदू त्योहार में शरीक हो जाते थे। अपनी इसी सोच के चलते मौलाना इलियास ने मुसलमानों को कथित तौर पर सुधरने का मन बनाया।

फिर शुरू हुआ यही जमात का सिलसिला और कई सैलून के चला आ रहा है। अब लॉकडाउन के बाद मार्च माह में अचानक से तब्लीगी जमात का नाम सामने आया, इससे पहले तक बड़े पैमाने पर लोग इस नाम से ही अंजान थे, अब हर जगह पर लोग इस नाम को जान गए हैं और इनकी करतूतों पर भला बुरा कह रहे हैं।

निजामुद्दीन स्थित मरकज में तब्लीगी जमात कार्यक्रम में दुनियाभर से आए मुस्लिम समाज के लोग जमा हुए थे। उसके बाद तब्लीगी जमात के लोग यहां से निकलकर दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में चले गए। जब निजामुद्दीन स्थित मरकज में ये पकड़े गए और इनकी जांच की गई तो ये कोरोना पाजिटिव पाए गए। उसके बाद जब इनको क्वारंटाइन किया गया तो इनकी हरकतों ने दुनियाभर में इनकी छवि को और भी धूमिल कर दिया। इससे ये कहा जाने लगा कि इस जमात से जुड़े लोगों की मानसिक सोच आज भी 70 के दशक की है।

निजामुद्दीन मरकज से जिन जमातियों को पकड़ा गया, उनकी जांच की गई। इनमें से कई पॉजिटिव पाए गए, उसके बाद इनको क्वारंटाइन किया गया। इन क्वारंटाइन सेंटरों में इन लोगों ने अपनी अजीबोगरीब डिमांड रखी जिसकी वजह से पूरे समाज की आलोचना हुई।

इन लोगों ने क्वारंटाइन सेंटरों और अस्पतालों में प्लास्टिक की बोतलों में मूत्र करके उसे बाहर फेंका, ऐसे तमाम वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए। इसके बाद इनके थूंकने की सूचनाएं मिली, इस घटना ने इनकी इमेज को और भी खराब किया। जब इन लोगों को निजामुद्दीन मरकज से पुलिस बसों में बिठाकर ले जा रही थी, बस में बैठने के बाद ही कुछ जमातियों ने थूकना शुरू कर दिया जिसकी पुलिस में शिकायत की गई। आज भी उत्तरप्रदेश के मोरादाबाद में 17 जमाती कोरोना पॉजिटिव मिले है, ये सभी दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीग़ी जमात मरकज़ से शामिल होक आये थे।

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