अपना गेंहू खरीद कर भी खाना पड़ रहा है मिलावटी आटा

चक्कियों पर गेंहू के साथ पीसा जा रहा है राशन का चावल

फ्री में मिलने वाले चावल के खरीददार बने चक्की मालिक

अपना गेंहू खरीद कर भी खाना पड़ रहा है मिलावटी आटा


एटा। नगर में गेहूं के बगैर मिलावटी आटा की रोटी खाने की चाहत रखने वाले लोगों की उम्मीद को राशन पर फ्री मिलने वाले चावल ने तोड़ दिया है। गरीबों की श्रेणी वाले राशन उपभोक्ता राशन की दुकान से फ्री मिलने वाला चावल ले तो लेते हैं, लेकिन उसे अपने परिवार को न खिलाकर चक्की स्वामियों को 10-15 रूपया प्रति किलो में बेच रहे हैं। वहीं चक्की मालिक पीसने के लिए आईं गेहूं की बोरियों के वजन के हिसाब से चक्की में गेहूं के साथ चावल मिलाकर पीस देते हैं और बोरी में आटा तोल कर रख देते हैं। गौर करने वाली बात तो यह है कि चक्की वाले कभी गेहूं पिसाने आए व्यक्ति के सामने गेहूं नहीं पीसते, बाद में गेहूं के साथ चावल पीसकर 15 रूपए प्रति किलो का मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं शुद्ध आटा खाने की चाहत रखने वाले लोगों की, गल्ला मंडी जाकर गेहूं खरीदना, गेहूं साफ करना आदि बहुत सारी कवायद बेकार चली जाती है। चावल की बहुतायत के कारण आम आदमी की शुद्ध आटे की रोटी खाने की चाहत पर पानी फिर रहा है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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