शहर का एक ऐसा डाक्टर जिसे वरदान मिला है!

etah,आप सभी सही पढ़ रहें है कि डाक्टर को धरती का भगवान तो कहा ही जाता है लेकिन शहर एटा में एक ऐसा भी डाक्टर है जिसे अभय वरदान मिला हुआ है।
इस डाक्टर का नाम काफ़ी सकरी गलियों में भी चर्चित रहता है। क्योंकि इनके कारनामें ऐसे है। डाक्टर शैलेन्द्र जैन व डॉ रूपा जैन का नाम तो आपने सुना ही होगा….. अगर नहीं सुना है तो कुछ याद दिला देते है यह वही डॉ.है जिनके क्लिनिक के बाहर इतनी भीड़ हों जाती है कि यातायात पुलिस को पूरी दुनिया दिखाई देती है लेकिन शहर की यह सड़क नहीं दिखाई देती है।जहाँ लोग आपस में झगड़ जाते है क्योंकि डाक्टर साहब के क्लिनिक के बाहर गाड़ियों से रास्ता जाम हों जाता है।डाक्टर साहब को इससे कोई सरोकार नहीं है।वही यातायात पुलिस की डाक्टर साहब से महीने पर मुलाक़ात होती रहती है।
मौत का अड्डा 👇
वाक्या कल का है एक प्रसूता को उसके परिजन इस क्लिनिक पर दिखाने के लिए लाये थे। घर से प्रसूता स्वस्थ थी।लेकिन क्लिनिक के भगवान डॉ रूपा जैन के हाथों उसकी मौत हों गई। खेल इतना ही नहीं है अब खेल एटा के अति महान उस अधिकारी की कहानी भी लगे हाथ बता देते है।जिनका नाम CMO उमेश कुमार त्रिपाठी है।मौत किसी की हों जाये इस अधिकारी को धन से मतलब है। नौकरी का धर्म क्या कहता है इन्हे उससे किसी भी तरह का सरोकार नहीं है। CMO उमेश कुमार त्रिपाठी के हाथों में मौत का खंजर दिखाई दें तो चौंक मत जाना क्योंकि एटा में इनकी यही असल पहचान है।
प्रसूता की मौत होने के बाद भी दुनिया भर का रोना-धोना चीख चिल्लाने के बाद भी स्वास्थ्य प्रशासन के कान पर जू नहीं रेंगी।
ऐसा आखिर क्यों!!!
कहावत है कि शिकायत राजा से क्या करें,राजा चौकीदार से ही मसवरा लेते है।
एटा के हाथी दरवाजे से जब मेहता पार्क पर निकलना हों तो आपको महसूस होगा कि यातायात पुलिस यहाँ आकर खुद अपना मोल लगा लेती होंगी।कि बताओ डॉ. शैलेद्र जैन मेरी नौकरी का कितना दोगे…..खैर मौत का यह रास्ता आम तो है लेकिन खास डाक्टर द्वारा ईजाद किया गया है।
शहर के गैर प्रमाणित हॉस्पिटलो से जिस तरह से उगाही की जा रही है। CMO उमेश कुमार त्रिपाठी का कोई सानी नहीं है।जिस रोड पर निकल जाइये मौत के अड्डे खोल दिए है।जिन्दा निकल गये तो घर,वरना चीर घर तो आना ही है।
डॉ. रूपा जैन और डॉ शैलेन्द्र जैन का यह वही क्लिनिक है जहाँ लगभग सभी प्रसूताओं के कोखो को फाड़ कर बच्चे पैदा करने का रिवाज़ है। क्योंकि मौत होंगी तो अपना क्या गया,अपना काम पैसों का है।पैसे पहले जमा कर लिए गए थे।