एटा में चयनित अभ्यर्थियों से अवैध वसूली का सिलसिला रोके नही रुक रहा..!

एटा में चयनित अभ्यर्थियों से अवैध वसूली का सिलसिला रोके नही रुक रहा..!
*स्वास्थ विभाग में खुल्लम खुल्ला भ्रष्टाचार को है कोई रोकने बाला.?
*रिलीव होने बाली ए एन एम से हजारों रुपए नो ड्यूज के नाम वसूली करने वाले कर्मी से वापिस कराई गई धनराशि।
एटा। मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की साफ सुथरी चयन नीति को दागदार बनाने से नही चूक रहे एटा स्वास्थ विभाग के कर्मी और अधिकारी मुख्यालय से लगी सीचसी शीतल पुर,निधौली कलां, सकीट आदि पर नियुक्त स्थल दिए जाने के नाम पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन संचालित स्थापना पटल पर खूब धन बसूली की शिकायते सुनने को मिली जिन्हे मीडिया ने फोकस करते हुए प्रकाशित किया ।जानकार कहते हैं मुख्य मंत्री जी मंशा के अनुरूप यदि स्थानीय विभाग और उसके जिम्मेदार काम करते तो मीडिया में यह दुर्गति नही होती यदि स्थानीय स्तर पर शासन की मंशा के अनुरूप नियुक्ति स्थल देने का पारदर्शिता से होता जैसे नियुक्त स्थल लाटरी सिस्टम या अल्फावेटली क्रम से आवंटित होते तो भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सकता था परंतु यह काम तो विभाग के मुखिया को पारदर्शिता से पूरी ईमानदारी से करना था पर जब हर शाख पे उल्लू बैठा हो तो यह काम कौन करता आंधी के आम बटोरते हुए नियुक्त स्थल दिए जाने के नाम लाखों के बारे न्यारे करने में पूरा विभाग जुटा रहा। ३० हजार से ४० हजार तक चयनित कर्मियों से वसूले गए। जो अब सरे आम हो चुके हैं । उधर दूसरे अन्य जनपदों को जाने बाली चयनित कर्मियों से वसूली का नया फंडा सकीट सी एच सी के एक विभागीय कर्मी ने चलाया जो नो ड्यूज और रिलीविंग के नाम पर वसूली थी जिसके लिए बताया गया एन एच एम के जिला मुख्यालय के नाम दो हजार रुपए एकत्रित किए गए जब इसकी खबर जागरूक मीडिया को लगी तो इस पर सवाल खड़ा किया गया जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए एन एच एम के प्रधान लिपिक संजय अवस्थी ने संज्ञान लिया और इस कार्य में लिप्त सम्बन्धित कर्मी को चेताया बताते हैं सकीट की गई उक्त वसूली दूसरे जनपदों में तैनात हुई ए एन एम को सारा रुपया वापिस कराया गया इस मशक्कत में आज पूरे दिन सी एम ओ कार्यालय में चयनित कर्मी देर शाम तक डटे रहे तब नो ड्यूज की औपचारिकता के कागज मिल सके। वसूले गए धन को वापिस मिलने की खुशी और एटा से बाहर जनपदों में गई कर्मियों की आंखों में देखी गई उन्होंने देर शाम चलते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे मीडिया को शुक्रिया कहा।
ऐसे बदहाल स्थिति में यह प्रश्न लाज़िम हैं आखिर लाखों रुपए सरकार से लेने वाले जिम्मेदार अधिकारी खुल्लम खुल्ला भ्रष्टाचार पर चुप क्यों है ? क्या सब हम्माम में नंगे होकर चुपके से इसमें शामिल हो चुके है.? यह शासन को फीड बैक देने बाली एजेंसीज को अपनी पैनी नजर से देखना होगा अन्यथा यह परिपाटी सरकारी विभागों की कार्यशैली को लेकर जनता में हताशा पैदा कर देगी वहीं ईमानदारों का मनोबल कम करेंगी।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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