ये हैं BHU के के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के हेड प्रोफेसर शिशिर बसु….फर्जी SC/STएक्ट में इन्होंने लगभग 10 साल बदनामी झेली. अंततः न्याय मिला…

अभी लगभग 6 माह पूर्व SC/ST एक्ट के केस में वाराणसी की कोर्ट ने इन्हें बाइज्जत बरी कर दिया. पत्रकारिता विभाग की एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने 2013 में प्रोफेसर पर जातिसूचक गाली देने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. मुकदमा दर्ज हुआ. कोर्ट में केस चला. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता का कहना है कि अभियुक्त उसे वर्ष 2003 से ही प्रताड़ित कर रहा था. लेकिन, उन्होंने 10 वर्ष तक थाने में शिकायत नहीं दर्ज कराई. इससे पीड़िता के आरोप पर संशय उत्पन्न होता है. BHU द्वारा गठित की गई जांच कमेटियों में भी ऐसी कोई बात नहीं आई. अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों को देखने पर यह प्रतीत हुआ कि पीड़िता की शिकायत BHU के अधिकारियों से शैक्षणिक विवाद से संबंधित है। पीड़िता की कार्यक्षमता के बारे में BHU में शिकायतें दर्ज हैं. मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य से यह स्पष्ट होता है कि अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप के तहत अपराध, दिन, समय, घटना और घटना किए जाने के तरीके को साबित करने में अभियोजन पूरी तरह से असफल रहा है। अभियुक्त प्रो. शिशिर बसु सभी आरोपों से दोषमुक्त किए जाने योग्य है।
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