गल्ला मंडी में ‘गुलाबी नोट’ का बेझिझक लेनदेन, रिपोर्ट योगेश मुदगल

एटा,गल्ला मंडी के व्यापारी दो हजार के नोट से लेनदेन करने में कोई परहेज नहीं कर रहे है। वह आपसी लेनदेन में दो हजार के नोट शामिल कर रहे है। जबकि मंडी में उत्पादन बेचने आने वाले किसान व्यापारियों से दो हजार का नोट लेने से इनकार कर रहे है। दो हजार का नोट न लेने पर उत्पादन बेचने वालों का भुगतान करने में व्यापारियों को थोड़ी सी परेशानी भी उठानी पड़ रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के अनुसार कोई भी मुद्रा तब तक वैध है जब तक कि उसके चलन पर केंद्र सरकार की ओर से रोक न लगाई जाए। केंद्र सरकार एवं आरबीआई के अनुसार आम जनता 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक 2000 के नोट को बैंक शाखाओं में बदल सकती है। हालांकि, एक बार में अधिकतम 20 हजार रुपये तक यानी 10 नोटों को ही बैंक शाखाओं में बदले जाने का प्रावधान किया गया है। सरकार की इस घोषणा के चलते जिले की प्रमुख खाद्यान्न गल्ला मंडी के व्यापारी दो हजार के नोट से जमकर आपसी लेन देन कर रहे है। लेकिन जो भी किसान अपना उत्पादन बेचने आ रहे है।
उनमें से 95 फीसदी किसान दो हजार के नोट से किया जाना वाला भुगतान स्वीकार करने से इनकार कर रहे है। उसका मुख्य कारण है कि किसान बैंक में लाइन लगाकर नोट को बदलने के झमेले से बचने के लिए दो हजार का नोट लेने के लिए इनकार कर रहे है। गल्ला व्यापारी किसानों के इनकार करने पर उनको समझा बुझा रहे है। उसके बाद भी वह हर सूरत पर दो हजार का नोट लेने से इनकार ही करते देखे जा रहे है। व्यापारी किसानों का भुगतान 100 से 500 की मुद्रा से कर रहे है। लेकिन ऐसा करने के लिए व्यापारियों को थोड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है।
आबीआई के अनुसार दो हजार के नोट को बंद करने की घोषणा नहीं हुई है। केवल उन्हे जमा करने के साथ बदलने की गाइड लाइन जारी हुई है। इसके चलते गल्ला मंडी में दो हजार के नोट को आसानी से लिया जा रहा है। लेकिन उत्पादन बेचने आने वाले लोग दो हजार का नोट लेने से इनकार कर रहे है।
-नीटू, आढ़ती, गल्ला मंडी एटा।