निकाय चुनाव में भाजपा ने शनिवार को नया इतिहास रच दिया, रिपोर्ट योगेश मुदगल

लखनऊ। पूरब से पश्चिम तक पार्टी का जादू चला। प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों में क्लीन स्वीप के साथ पार्टी ने अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। सरकार और संगठन की इस साझा कदमताल से भाजपा शहरों में ट्रिपल इंजन सरकार बनाने में सफल रही है जबकि नगर पालिका और नगर पंचायतों में भी पार्टी को बड़ी सफलता मिली है।
निकाय चुनाव छोटे सही लेकिन इन्हें आगामी लोकसभा चुनाव के रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा था। भाजपा ने इन चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर विपक्षियों के सामने एक बड़ी लकीर खींच दी है।
अभी तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पार्टी का नगर निगमों में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। वर्ष 2012 में भाजपा ने 12 में से 10 और 2017 के निकाय चुनाव में 16 में से 14 मेयर सीटों पर जीत हासिल की थी। अयोध्या, मथुरा, काशी में जीत ने जहां भाजपा के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को धार दी। वहीं पूरब से पश्चिम तक भाजपा सामाजिक समीकरण साधने में सफल रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ लोगों को यह भरोसा दिलाने में सफल रहे कि यूपी में सब चंगा है। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह अकाट्य सांगठनिक ताना-बाना बुनने में सफल रहे। वहीं दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद व ब्रजेश पाठक की रैलियों ने भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में कारगर भूमिका निभाई।
बसपा से छीने मेरठ-अलीगढ़ वर्ष 2017 में बसपा मेरठ और अलीगढ़ के महापौर का चुनाव जीतने में सफल रही थी। मगर इस चुनाव में भाजपा ने नीले खेमे को बड़ा झटका देते हुए दोनों सीटें बसपा से छीन लीं। इन दोनों ही सीटों पर भाजपा द्वारा बुना गया सामाजिक ताना-बाना उसके लिए मुफीद साबित हुआ। मेरठ में जहां ओवैशी की एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोटों में सेंधमारी कर भगवा खेमे को राहत दे दी जबकि दलित वोटों में सेंधमारी में भी पार्टी सफल रही। वहीं अलीगढ़ में भी सपा-बसपा के बीच मुस्लिम मतों के बंटवारे ने भाजपा की राह आसान कर दी।
निकाय चुनाव में बड़ी जीत के बाद शनिवार को लखनऊ में भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं ने आतिशबाजी की।
अपना दल को भी मिला भाजपा का लाभ
इस चुनाव में स्वार और छानबे विधानसभा सीटों के उपचुनाव में सहयोगी अपना दल (एस) ने भी जीत हासिल कर ली।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छानबे में ऐन वक्त पर रैली कर अपना दल एस के पक्ष में माहौल बनाया। वहीं स्वार सीट पर भूपेंद्र चौधरी ने अनुप्रिया पटेल के साथ मंच साझा कर जीत की राह आसान कर दी थी। सीएम योगी और भाजपा के बिना स्वार में जीत हासिल कर पाना अपना दल के लिए संभव नहीं था। यहां भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत दिखी।
चुनावी दौर में कई मेयर सीटों पर थी कश्मकश की स्थिति
चुनावी दौर में कई मेयर सीटों को लेकर कश्मकश की स्थिति थी। माना जा रहा था कि कहीं सपा तो कहीं बसपा से कड़ी चुनौती मिल सकती है। इसमें खासतौर से सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली की मेयर सीटें शामिल थीं। शुरुआत में नया प्रत्याशी होने के कारण अयोध्या में भी पार्टी की मुश्किल बढ़ी हुई थी। लखनऊ, गाजियाबाद और आगरा भाजपा की परंपरागत सीटें रही हैं सो इस बार भी यहां पार्टी को कोई मुश्किल नहीं थी। हालांकि आगरा में बसपा को शुरुआती बढ़त ने थोड़ी हलचल जरूर बढ़ाई मगर यह आगरा का पुराना ट्रेंड है। सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और प्रयागराज में भी पार्टी के सामने कोई खास चुनौती नहीं थी। कानपुर नगर की मेयर सीट पर जरूर एंटी इन्कंबेंसी का शोर था। मगर चुनावी नतीजों ने सारी चर्चाओं को विराम दे दिया है।